Afghanistan:  अफगानिस्तान में तालिबान अधिकारियों ने देश के मानवाधिकार आयोग सहित पूर्व अमेरिकी समर्थित सरकार के पांच प्रमुख विभागों को वित्तीय संकट की स्थिति में गैर जरूरी मानते हुए भंग कर दिया. एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी. इससे पहले तालिबान अधिकारियों ने शनिवार (14 मई) को कहा था कि अफगानिस्तान को इस वित्तीय वर्ष में 44 अरब अफगानियों ($501 मिलियन) के बजट डिफिसिट का सामना करना पड़ रहा है. बता दें पिछले अगस्त में युद्धग्रस्त देश को संभालने के बाद तालिबान ने शनिवार को अपने पहले वार्षिक राष्ट्रीय बजट की घोषणा की थी.


तालिबान सरकार के उप प्रवक्ता इन्नामुल्लाह समांगानी ने बताया, "चूंकि इन विभागों को आवश्यक नहीं समझा गया था और बजट में शामिल नहीं किया गया था, इसलिए उन्हें भंग कर दिया गया है."


इन विभागों को भी खत्म 


राष्ट्रीय सुलह के लिए उच्च परिषद (एचसीएनआर),  कभी उच्च-शक्ति रखने वाली राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद, और अफगान संविधान के कार्यान्वयन की देखरेख के लिए आयोग भी भंग कर दिया गया. एचसीएनआर का आखिरी नेतृत्व पूर्व अफगान राष्ट्रपति अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने किया था और यह पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी की अमेरिकी समर्थित सरकार और तत्कालीन विद्रोही तालिबान के बीच शांति वार्ता के लिए काम कर रहा था. गौरतब है कि अगस्त 2021 में, अफगानिस्तान पर हमला करने के 20 साल बाद, विदेशी सेना देश से हट गई, जिससे सरकार गिर गई और तालिबान ने सत्ता पर कब्जा कर लिया.


समांगानी ने कहा कि राष्ट्रीय बजट "वस्तुनिष्ठ तथ्यों पर आधारित" था और केवल उन विभागों के लिए अभिप्रेत था जो सक्रिय और उत्पादक थे. उन्होंने कहा कि भविष्य में "जरूरत पड़ने पर" निकायों को फिर से सक्रिय किया जा सकता है.


तालिबान ने महिलाओं पर लगाए कई प्रतिंबध
बता दें पिछले साल अफगानिस्तान पर नियंत्रण करने के बाद तालिबान ने दावा किया था कि इस बार उसका शासन (1996 से 2001 तक) पिछले कार्यकाल की तुलना में नरम होगा. लेकिन तालिबान अपने वादे को निभाता नहीं दिख रहा है बल्कि उसने महिलाओं पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं. महिलाओं को कई सरकारी नौकरियों, माध्यमिक शिक्षा, और अपने शहरों या अफगानिस्तान के बाहर अकेले यात्रा करने से प्रतिबंधित कर दिया है.


तालिबान के दो शासनकाल के बीच के 20 वर्षों के समय में, लड़कियों को स्कूल जाने की अनुमति दी गई और महिलाओं को सभी क्षेत्रों में रोजगार की तलाश करने में सक्षम बनाया गया, हालांकि देश सामाजिक रूप से रूढ़िवादी बना रहा.


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