तालिबान और रेजिस्टेंस फोर्स में बातचीत फेल होने के बाद लड़ाई तेज, अहमद मसूद ने सरकार में शामिल होने के प्रस्ताव ठुकराया
नेशनल रेजिस्टेंस फोर्स के मुताबिक तालिबान से जारी जंग मे अब तक 35 तालिबानी बंदी बनाए जा चुके हैं और 350 तालिबानी लड़ाकुओं को मारा जा चुका है और करीब 287 घायल हैं.
Afghanistan Crisis: तालिबान और पंजशीर के बीच चल रही समझौते की बातचीत फेल होने के बाद लड़ाई और भीषण हो चुकी है. पंजशीर में विद्रोही गुट के नेता अहमद मसूद की रेजिस्टेंस फोर्स का दावा है कि बातचीत फेल होने के लिए तालिबान खुद जिम्मेदार है. तालिबान ने अहमद मसूद को सत्ता में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था जिसे मसूद ने ठुकरा दिया क्योंकि मसूद अपने लिए कोई डील नहीं चाहते थे. बल्कि अफगानी नागरिकों के अधिकारों का आश्वासन चाहते थे.
मसूद ने एक इंटरव्यू में कहा, 'हम बहुसंख्यक आबादी पर एक राजनीतिक ताकत द्वारा लाए गए प्रभुत्व, असहिष्णुता और उत्पीड़न का विरोध कर रहे हैं, जो उनका समर्थन नहीं करते हैं. तालिबान को केवल तभी स्वीकार किया जाएगा, जब वे देश में सभी जातीय समूहों के साथ एक समावेशी सरकार बनाते हैं. अफगानिस्तान एक ऐसा देश है, जो जातीय अल्पसंख्यकों से बना है और कोई भी बहुसंख्यक नहीं है. यह एक राष्ट्र-राज्य के बजाय एक बहुसांस्कृतिक राष्ट्र है. इस कारण से, उन्हें देश पर शासन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, और यदि उनकी यह स्थिति है, तो हम उनका विरोध करेंगे.'
तीन सौ ज्यादा तालिबानियों के मारे जाने का दावा
अफगानिस्तान की सत्ता तक पहुंच चुके तालिबान के सामने सरेंडर नहीं करने वाली पंजशीर घाटी ने दश्ताल, दरबंद और खावक में रेजिस्टेंस फोर्स के लड़ाकों ने तालिबानियों को पानी पिला दिया है. ताजा लड़ाई में दोनों तरफ से मौत या घायलों का आंकड़ा जारी नहीं किया गया है लेकिन अहमद मसूद के करीबी का दावा है कि पंजशीर में अंद्राब घाटी के पास 24 घंटे में 35 से ज्यादा तालिबानी ढेर किए जा चुके हैं. अब तक पंजशीर के मोर्चे पर तीन सौ ज्यादा तालिबानियों के मारे जाने का दावा है. रेजिस्टेंस फोर्स का आरोप है कि तालिबान झूठ फैला रहा है कि उसने पंजशीर के कई हिस्सों पर कब्जा कर लिया.
क्यों टूटी तालिबान और पंजशीर की बातचीत?
पंजशीर की नेशनल रेज़िसटेन्स फ्रंट ने बताया कि बातचीत इसलिए टूटी क्योंकि बातचीत में अहमद मसूद को निजी प्रस्तावों के साथ-साथ तालिबान ने जंग और हमले की धमकी दी थी. नेशनल रेज़िसटेन्स फ्रंट की तरफ से जारी बयान में बताया गया है कि एक तरफ जहां तालिबान ने फ्रंट के नेता अहमद मसूद जूनियर को सत्ता में शामिल होने और साथ हीं एक प्रतिनिधि को शामिल करने का प्रस्ताव था वहीं अहमद मसूद कोई निजी डील नहीं बल्कि अफगानी नागरिकों के अधिकारों के लिए आश्वासन चाहते थे.
काबुल एयरपोर्ट के चालू करने में जुटे एक्सपर्ट, इस बीच कतर ने कही ये बात