Politics Ban: इस देश में राजनीतिक पार्टियों पर लगा बैन, पॉलिटिक्स करने पर होगी जेल, क्यों लिया गया ये 'तुगलकी' फैसला?
Taliban Political Parties Ban: तालिबान ने अफगानिस्तान में राजनीतिक गतिविधियों को अपराध की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है. राजनीतिक पार्टियों पर बैन लगा दिया गया है.
Afghanistan Political Parties Ban: अफगानिस्तान में राजनीतिक गतिविधियों से जुड़ना खुद को मुसीबत में डालने के बराबर हो सकता है. अगर किसी को ऐसा करते हुए पकड़ा जाता है तो उसकी जेल की सजा बिल्कुल तय मान लीजिए. दरअसल, तालिबान की अंतरिम सरकार ने अफगानिस्तान में राजनीतिक पार्टियों पर पूरी तरह से बैन लगा दिया है. अपने इस फैसले के पीछे शरिया कानून का हवाला दिया गया है.
द खोरासान पोस्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान की अंतरिम तालिबान सरकार में न्याय मंत्री मौलवी अब्दुल हकीम शेराई ने राजनीतिक गतिविधियों और पार्टियों पर बैन लगाने के फैसले की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि राजनीतिक गतिविधियों में शामिल पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को कड़ी सजा दी जाएगी और जेल भेजा जाएगा. इस्लामिक शरिया में राजनीतिक दलों की कोई अवधारणा नहीं है.
BREAKING:
— The Khorasan Diary (@khorasandiary) August 16, 2023
The Afghan Interim Government has announced a complete ban on political parties across Afghanistan.
As per the fresh directives announced by the the Taliban Justice minister, Mawlawi Abdul Hakeem Sharei, anyone found involved in political activities will be strictly… pic.twitter.com/h4sdA5Afts
तालिबान की वापसी को दो साल पूरे
तालिबान ने हाल ही में अफगानिस्तान की सत्ता में आने के दो साल पूरे किए हैं. 2021 में 15 अगस्त को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद पूरे देश का कंट्रोल अपने हाथों में लिया गया और फिर इस्लामिक सिस्टम को लागू किया गया. तालिबान के कब्जे के बाद से ही अफगानिस्तान के हालात बदल चुके हैं. महिला अधिकारों को छीन लिया गया है और उन्हें पढ़ने-काम करने तक की इजाजत नहीं है.
देश की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल
अफगानिस्तान की स्थिति पिछले कई सालों से खराब चल रही थी. लेकिन तालिबान की वापसी के बाद भी हालात ज्यादा सुधरे नहीं हैं. अफगानिस्तान आर्थिक रूप से बहुत ही ज्यादा पिछड़ा हुआ है. देश की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो चुकी है और बड़े पैमाने पर गरीबी फैली हुई है. सिर्फ इतना ही नहीं, तालिबान की वापसी से अफगानिस्तान को मिलने वाली विदेशी मदद भी बंद कर दी गई है.
तालिबान को मान्यता नहीं
दुनियाभर के मुल्कों की तरफ से दो साल बाद भी तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी गई है. रूस, चीन, पाकिस्तान जैसे मुल्कों ने पिछले दरवाजे से तालिबान से बात किए जाना जारी रखा है. मगर कोई भी मुल्क तालिबान को मान्यता देने के लिए राजी नहीं है. इसकी मुख्य वजह महिला अधिकारों में की गई कटौतियां हैं. अंतरराष्ट्रीय समुदाय महिला अधिकारों को बहाल किए जाने की मांग कर रहा है.
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