तालिबान ने भारत के साथ मनाया स्वतंत्रता दिवस, क्यों पाकिस्तान के लिए मुसीबत बना है अफगानिस्तान, PAK एक्सपर्ट कमर चीमा ने बताई असली वजह
कमर चीमा ने कहा कि भारत, रूस और चीन की अफगानिस्तान को लेकर एक ही नीति है कि वो उसके आंतरिक मामलों में नहीं बोलते. वह सिर्फ अपने राष्ट्रीय हित की सुरक्षा के बारे में सोचते हैं.
भारत के स्वतंत्रता दिवस के साथ तालिबान ने भी 15 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाया. इस मौके पर बुधवार (14 अगस्त, 2024) को तालिबान ने मिलिट्री परेड हुआ और तालिबान ने अफगानिस्तान में अपने शासन के लगातार तीसरे साल का जश्न मनाया. इस दौरान उसने भारत के अटैक हेलीकॉप्टर एमआई-24 का भी प्रदर्शन किया. ये सब ऐसे समय पर हो रहा रहा है, जब पाकिस्तान और तालिबान में तनातनी चल रही है. पाकिस्तानी रणनीतिक विश्लेषक कमर चीमा ने कहा कि तालिबान को तीन साल हो गए हैं और वह बहुत सिक्योर है और राजनीतिक तौर पर उसने खुद को काफी मजबूत कर लिया है.
कमर चीमा ने आगे कहा, 'अफगानिस्तान दुनिया की एंबेसी में काम कर रहे हैं, बिजनेस कर रहे हैं. सिर्फ पाकिस्तान एक ऐसा मुल्क है, जिसकी तालिबान नहीं सुनते वो इसलिए नहीं सुनते क्योंकि अगर ऐसा करेंगे तो पाकिस्तान कहेगा कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान पर हमले करो. पर अफगान-तालिबान ऐसा क्यों करेगा क्योंकि उनके साथ मिलकर तो वह अमेरिका से लड़ा. ऐसे तो अफगान-तालिबान में लड़ाई शुरू हो जाएगी. जो पाकिस्तान के लिए खतरा है वो तालिबाान के लिए नहीं है.'
तीन साल में पॉलिटकली मजबूत हो गया तालिबान, कमर चीमा ने कहा
कमर चीमा ने कहा, 'तालिबान का भी 15 अगस्त को आजादी का दिन होता है. इस मौके पर उन्होंने बड़ी जबरदस्त मिलिट्री परेड की, जिसमें हेलीकॉप्टर, टैंक, मोटरसाइकिल पर प्रदर्शन किए. तालिबान आज इतने सिक्योर हैं. तालिबान को तीन साल हो गए हैं. चार करोड़ के करीब अफगानिस्तान की आबादी है. तालिबान राजनीतिक तौर पर काफी मजबूत लग रहे हैं. उन्होंने पॉलिटकली खुद को खड़ा कर लिया है और उनके लिए कोई चैलेंज नहीं है. उनके इंटरनल डिफरेंस नहीं हैं. बस ये बात है कि वह महिलाओं की शिक्षा के हक में नहीं हैं, लेकिन कोई ऐसा ग्रुप नहीं है, जो उनके खिलाफ लड़े.'
तालिबान के सामने कोई सट्रॉन्ग ग्रुप नहीं?
उन्होंने कहा कि पहले तालिबान अपने आप में लड़ते-झगड़ते रहते थे, लेकिन इस बार अफगान-तालिबान ने बड़ी जबरदस्त तरीके से अपनी पावर कायम कर ली है. उनका कहना है कि उनके सामने कोई ताकतवर ग्रुप नहीं है, सिर्फ इस्लामिक स्टेट खुरासान, जो अफगानिस्तान में जगह-जगह फैला हुआ है, लेकिन अमेरिका और पाकिस्तान भी उससे परेशान हैं. कमर चीमा ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्तों में आए बदलाव पर बात करते हुए कहा कि पाकिस्तान अब अफगानिस्तान से भी खुश नहीं है, जबकि पहले अफगानिस्तान काफी खुश था कि अफगान-तालिबान पावर में आ जाएंगे.
पाकिस्तान के साथ कैसे बदले अफगानिस्तान के रिश्ते?
उन्होंने कहा कि 50 सालों से पाकिस्तान अफगानिस्तान में जो इनवेस्टमेंट कर रहा था, वो डूब गई है. कमर चीमा ने कहा, 'पाकिस्तान ने जिस तरह अफगानिस्तान को खड़ा किया, तालिबान बनाए, वहां की हुकूमतें खराब हुईं, सऊदी और अमेरिका के साथ मिलकर वहां सबकुछ किया, लेकिन आखिर में सब चले गए और पाकिस्तान फंस गया. अब तालिबान पाकिस्तान के बॉर्डर पर बैठे हुए हैं. न वो हमारी सुनते हैं, न वो हमें गिनते हैं. पाकिस्तान के तालिबान के साथ बड़े अजीब किस्म के ताल्लुकात चल रहे हैं.'
भारत के साथ कैसे हैं तालिबान के संबंध?
कमर चीमा ने आगे कहा, 'भारत और तालिबान का नेशनल डे एक ही दिन मनाया जाता है. भारत ने अफगानिस्तान के अंदर 3 अरब डॉलर की जो इनवेस्टमेंट की हुई हैं. उसको भारत कैश करवाना चाहता है. वो नहीं चाहता कि अफगान-तालिबान हमारी इस इनवेस्टमेंट को खराब करे.' उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान को लेकर चीन, भारत और रूस की एक ही पॉलिसी है. ये तीनों मुल्क अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करते हैं. वह अपने राष्ट्रीय हित से मतलब रखते हैं. वो कभी महिलाओं की शिक्षा जैसे मुद्दों पर बात नहीं करते हैं. उन्होंने आगे कहा कि भारत का अफगानिस्तान से ज्यादा इंटरेस्ट है क्योंकि वह तालिबान से अफगानिस्तान के हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा चाहता है. तालिबान के साथ अभी जो वार्ता हुई थी उसमें भी इन्हीं मुद्दों पर बात हुई थी.
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