अफगानिस्तान: दूसरे सबसे बड़े शहर कंधार पर भी तालिबान का कब्जा, अल्पसंख्यकों को सुरक्षित निकालने में मदद करेगा भारत
अफगान सेना घुटने टेक रही है तो तालिबानी आतंकियों का कद बढ़ता जा रहा है. . भारत अफगानिस्तान में तेजी से बिगड़ रहे हालातों पर नजर बनाए हुए है. इन हालातों को ध्यान में रखते हुए कई फैसले किए जा रहे हैं.
अफगानिस्तान में तालिबान जिस तेजी से कदम बढ़ा रहा है वो दुनिया के लिए चिंता की बात है. न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक तालिबान ने अफगानिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर कंधार पर कब्जा कर लिया है. राजधानी काबुल से कंधार की दूरी करीब 500 किलोमीटर है. तालिबान जिस तेजी से अफगानिस्तान पर कब्जा कर रहा है उससे अब ऐसा लग रहा है कि जल्द ही वो काबुल पर कब्जा कर लेगा, जिसकी आशंका पूरी दुनिया जता रही है.
अपने लोगों को निकालने का प्रयास कर रहा भारत
अफगानिस्तान के कई शहरों में मौत का मंजर नजर आ रहा है. अफगान सेना घुटने टेक रही है तो तालिबानी आतंकियों का कद बढ़ता जा रहा है. इस मुश्किल वक्त में अफगानिस्तान की सरकार जहां घुटने टेक रही है वहीं भारत-अफगानिस्तान में बसे अपने लोगों की सुरक्षा की चिंता कर रहा है.
अफगानिस्तान में चल रहे इस आतंकी तांडव के बीच कतर की राजधानी दोहा में बैठकों का दौर चला. जिसमें चीन, पाकिस्तान, रूस और अमेरिका के अलावा भारत को भी शामिल होने का न्योता दिया गया. भारत अफगानिस्तान में तेजी से बिगड़ रहे हालातों पर नजर बनाए हुए है. इन हालातों को ध्यान में रखते हुए कई फैसले किए जा रहे हैं.
इन फैसलों के तहत फिलहाल काबुल में भारतीय दूतावास खुला रहेगा. भारत अफगानिस्तान में मौजूद अल्पसंख्यकों को सुरक्षित जगह पर जाने में मदद देगा. विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि भारत सरकार पहले भी 380 से ज्यादा परिवारों को देश लौटने में मदद कर चुका है. यहां फंसे हिंदू और सिख समुदाय सुरक्षित आना चाहेंगे तो उन्हें पूरी मदद की जाएगी.
अफगानिस्तान में रह रहे लोगों और मीडिया कर्मियों के लिए एडवाइजरी
भारत सरकार ने अफगानिस्तान में रह रहे लोगों से इस एडवाइजरी को गंभीरता से लेने की सलाह दी है. अफगानिस्तान में रिपोर्टिंग कर रहे मीडिया कर्मियों के लिए भी चेतावनी जारी की गई है. हालांकि सैन्य सहयोग को लेकर अभी किसी तरह का फैसला नहीं लिया गया है.
अमेरिका ने अपने नागरिकों को अफगानिस्तान छोड़ने की सलाह दी
भारत के अलावा अमेरिका ने भी एडवाइजरी जारी करते हुए वहां मौजूद अपने लोगों को जल्द से जल्द अफगानिस्तान छोड़ने की सलाह दी है. अमेरिका अपने लोगों को बचाने की पूरी कोशिश कर रहा है. इस कोशिश में अमेरिका ने तालिबान से गुहार भी लगाई है. अमेरिका ने तालिबान से अपील की है कि वे काबुल में बने अमेरिकी दूतावास पर हमला ना करें. और वहां मौजूद अमेरिकी राजनयिकों को सुरक्षित वापस लौटने दें.
पाकिस्तान का रुख तालिबान के लिए नरम!
इस बीच पाकिस्तान ने भी अफगानिस्तान मसले पर अपना पक्षा रखा है. पाकिस्तान पर हमेशा से आरोप लगते रहे हैं कि वो तालिबानी आतंकियों को समर्थन दे रहा है. जिसका जवाब देते हुए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि अफगान सरकार अपनी गलतियां छिपाने के लिए पाकिस्तान सरकार पर आरोप लगा रही है.
इमरान ने भले ही इशारों इशारों में सही लेकिन ये तो साफ ही कर दिया कि पाकिस्तान का रुख तालिबान के लिए नरम है. क्योंकि अफगानिस्तान को मुर्दा बनाने की हद तक बर्बाद कर देने वाले तालिबान का दावा भी इंटरनेशनल मंचों पर यही है कि जनता के समर्थन से वो प्रांत दर प्रांत जीत रहा है.