वॉशिंगटन: तालिबान आतंकवादियों ने अफगानिस्तान के 75 फीसदी हिस्सों में अपना कब्जा जमा लिया है. तालिबान की बढ़त से अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर फिलहाल सीधे तौर पर खतरा नहीं है. लेकिन यहां अब अफगान सरकार का नियंत्रण कायम रहना मुश्किल लग रहा है. एक अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने चेतावनी दी है कि तालिबान काबुल को 30 दिनों के भीतर अलग कर सकता है और संभावित रूप से 90 दिनों में इसे अपने कब्जे में ले सकता है.


तालिबान ने छह दिनों में आठ राज्यों की राजधानियों पर कब्जा कर लिया है और उसने 11 प्रांतीय राजधानियों को लेने की धमकी दी है. अमेरिकी सैन्य नेतृत्व को जितनी आशंका थी, उससे कहीं अधिक तेजी से अफगानिस्तान सरकार की सेना युद्धग्रस्त देश में तालिबान के सामने पस्त हो ही है. लेकिन व्हाइट हाउस, पेंटागन या अमेरिकी जनता के बीच इसे रोकने का ज़ज्बा कम ही नजर आ रहा है और अब शायद कुछ करने के लिए बहुत देर भी हो चुकी है.


अफगनिस्तान पर 1996 से 9/11 के हमलों तक शासन करने वाले तालिबान ने बुधवार को तीन और प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर लिया, जिससे उन्हें देश के लगभग दो-तिहाई हिस्से पर प्रभावी नियंत्रण मिल गया. 9/11 के हमलों के बाद अमेरिकी बलों ने देश में अपनी पकड़ बनाई थी. विद्रोहियों के पास कोई हवाई बल नहीं है और उनकी संख्या अमेरिका द्वारा प्रशिक्षित अफगान रक्षा बलों से कम है, लेकिन फिर भी उन्होंने आश्चर्यजनक गति से क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है.


अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़ती कार्रवाई से खुद को दूर रख रहा है अमेरिका
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अमेरिकी सेना को इस महीने के अंत तक अफगानिस्तान में अपने मिशन को खत्म करने का आदेश दिया है. यूएस सेंट्रल कमांड ने कहा कि ड्रॉडाउन का 95 फीसदी से ज्यादा पूरा हो चुका है. 


अफगानिस्तान से अधिकतर अमेरिकी सैनिक वापस लौट आए हैं और तालिबान ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है, लेकिन अमेरिका उसे रोकने की कोई कोशिश नहीं कर रहा है. वे जानते हैं कि राष्ट्रपति के लिए एकमात्र उचित विकल्प उस युद्ध को फिर से शुरू करना होगा, जिसे उन्होंने पहले ही समाप्त करने का फैसला कर लिया है. बाइडन ने स्पष्ट कर दिया है कि उनका पिछले वसंत में किए गए निर्णय को उलटने का कोई इरादा नहीं है, जबकि इसके परिणाम तालिबान के अधिग्रहण की ओर इशारा करते हैं. 


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