Afghanistan Crisis: अफगानिस्तान का नियंत्रण हासिल करने की कवायदों में लगे तालिबान (Taliban) को ईरान (Iran) के नेतृत्व ने झटका दिया है. ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी (Ebrahim Raisi) ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में चुनाव से नई सरकार बनाई जानी चाहिए. अफ़ग़ान लोगों के मतों से निकली सरकार को ईरान समर्थन देगा.


इतना ही नहीं, रईसी ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में चुनी हुई आकार आना चाहिए जो दोनों पड़ोसी देशों के रिश्तों के लिए ज़रूरी है. साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि विदेशी ताकतों को अफगानिस्तान के मामलों में दखल दे अफ़ग़ान लोगों की तकलीफ नहीं बढानी चाहिए. ईरान के नए राष्ट्रपति का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब पाकिस्तान के आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फ़ैज़ हमीद ने काबुल पहुंच अफ़ग़ान नेतृत्व से मुलाकात की थी. इतना ही नहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी अफ़ग़ान विदेश मंत्री से फोन चर्चा की थी.


ईरान सरकार की तरफ से आया यह बयान काफी अहमियत रखता है. खासकर ऐसे में जबकि तालिबान राज को लेकर अफ़ग़ानिस्तान में जहां दहशत का माहौल है वहीं अभी तक शिया बहुल हज़ारा और अफ़ग़ान समाज के ताजिक ब उज्बेके मूल के लोगों को शामिल करने कस लिए अभी तक कोई ठोस ऐलान नहीं किया गया है.


इतना ही नहीं, 30 अगस्त को अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की वापसी का बावजूद काबुल की नई सरकार का ऐलान नहीं हो पाया है. इस देरी के पीछे एक बड़ी वजह, सत्ता के हिस्से-बंटवारे को लेकर विभिन्न धड़ों के बीच मौजूद मतभेदों का भी मुद्दा है. इसके अलावा, पंजशीर घाटी के इलाके में जारी टकराव भी सरकार के ऐलान में अड़चन बन रहा  है.


इस बीच प्रधानमंत्री इमरान खान की अगुवाई वाली पाकिस्तानी टीम तालिबान के लिए खुलकर बैटिंग कर रही है.जानकार सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान जहां तालिबान नेताओं के साथ सरकार निर्माण की प्रक्रिया में सक्रिय तौर पर जुड़ा हुआ है. वहीं अंतरराष्ट्रीय तौर पर भी तालिबान के लिए खुलकर पैरवी कर रहा है. इस कड़ी में अफगानिस्तान में पाकिस्तान के राजदूत मोहम्मद सादिक़ ने रविवार को चीन, ईरान, ताजीकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान के विशेष प्रतिनिधियों के साथ बैठक की मेज़बानी की.


हालांकि तालिबान की भावी सरकार को मान्यता देने के मुद्दे पर भारत समेत कई देश तौल-मोल के फैसला लेने की नीति अपना रहे हैं. यूरोपीय संघ में एशिया मामले के प्रभारी गुन्नार वेगेंद ने कहा है कि EU अफगानिस्तान में मानवीय संकट के मद्देनजर तालिबान के साथ सम्पर्क तो रखेगा. लेकिन तालिबान सरकार को मान्यता देने और औपचारिक संबंधों की कोई जल्दबाज़ी नहीं है.


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