क्या तालिबान ने पाकिस्तानी सेना की दो चौकियों पर किया कब्जा? वायरल वीडियो में दावा, पढ़िए पाक आर्मी की सफाई
डूरंड लाइन पर बढ़ते हमले और टीटीपी की आक्रामकता पाकिस्तान के लिए गंभीर चुनौती बन रही है. अफगान तालिबान और टीटीपी के बढ़ते प्रभाव से न केवल पाकिस्तान की सीमाएं असुरक्षित हो गई हैं.
Pakistan-Afghanistan News: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच डूरंड लाइन पर जारी विवाद ने नया मोड़ ले लिया है. अफगान तालिबानी लड़ाके डूरंड लाइन पार कर पाकिस्तानी चौकियों पर लगातार हमले कर रहे हैं. इस दौरान तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) द्वारा एक पाकिस्तानी चौकी पर कब्जा करने का दावा भी सामने आया.
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में टीटीपी के लड़ाकों को पाकिस्तानी चौकी पर जश्न मनाते और पाकिस्तान का झंडा हटाकर अपना झंडा लगाते देखा गया. हालांकि, पाकिस्तानी सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि यह चौकी हमले से पहले ही खाली कर दी गई थी.
🔴 #BREAKING New viral videos of Pakistani Taliban taking over a military checkpost in #Bajaur. Such repeated failures happen mainly because #PakistanArmy is too busy playing politics & oppressing citizens of the country while not doing its actual job on the borders of Pakistan pic.twitter.com/7vt2KzCEHq
— Taha Siddiqui (@TahaSSiddiqui) December 30, 2024
TTP और पाकिस्तानी सेना के बीच तनाव
सेना ने बाजौर, उत्तरी वजीरिस्तान, और दक्षिणी वजीरिस्तान में सैनिकों को रणनीतिक रूप से दूसरी जगहों पर स्थानांतरित कर दिया था. इस दावे के बावजूद, TTP के कब्जे और वायरल वीडियो ने सेना की रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं. इस बीच टीटीपी और पाकिस्तानी सेना के बीच तनाव तब और बढ़ गया, जब TTP ने वजीरिस्तान के मकीन इलाके में पाकिस्तानी सेना के 30 जवानों को मार गिराया.
इसके जवाब में पाकिस्तान ने एयरस्ट्राइक कर तालिबान को कड़ा संदेश देने की कोशिश की, लेकिन, तालिबान की भौगोलिक और सैन्य ताकत पाकिस्तानी सेना को कड़ी चुनौती दे रही है. अगर तालिबान की ताकत के बारे में बात करें तो तालिबान के पास 1.5 लाख सक्रिय लड़ाके और आधुनिक हथियारों का विशाल भंडार हैं.
तालिबान की ताकत
तालिबानी लोग दुर्गम पहाड़ी इलाकों और गुफाओं से हमले करते हैं, जो पाकिस्तानी सेना के लिए अज्ञात हैं. उनके पास एके-47, मोर्टार, और रॉकेट लॉन्चर जैसे आधुनिक हथियार हैं. हालांकि, दूसरी तरफ शहबाज शरीफ सरकार पहले से ही कई गंभीर समस्याओं से जूझ रही है, जिसमें आर्थिक संकट, सीपैक प्रोजेक्ट में देरी और बलूचिस्तान में अलगाववाद जैसी चुनौतीयां शामिल है. इन सब ने पाकिस्तानी सेना और सरकार दोनों को कमजोर किया है. तालिबान के साथ बढ़ते टकराव ने इस संकट को और गंभीर बना दिया है.
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