(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
तालिबान के तांडव से बेहाल अफगान नागरिक, 8 राज्यों पर कब्जे के बाद अब एयरफोर्स स्टेशनों पर भी बोला धावा
तालिबान ने अफगानिस्तान में सूबों की राजधानियों समेत 75 फीसदी इलाकों पर कब्जा कर लिया है. अब तालिबान ने एयरफोर्स स्टेशनों पर भी धावा बोल दिया है.
काबुल: अफगानिस्तान में तालिबान का खौफ लगातार बढ़ता जा रहा है. यहां तालिबान ने आठ राज्यों पर कब्जे के बाद अब तालिबान ने एयरफोर्स स्टेशनों पर भी कब्जा करना शुरू कर दिया है. तालिबान ने 'एमआई-24' अटैक हेलीकॉप्टर को भी अपने कब्जे में कर लिया है. ये हेलीकॉप्टर साल 2019 में भारत ने अफगानिस्तान को गिफ्ट दिया था.
दो दशक की लड़ाई के बाद अमेरिकी और नाटो सैनिकों की अंतिम वापसी के बीच अब तालिबान के कब्जे में अफगानिस्तान का दो तिहाई हिस्सा चला गया है. अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी तालिबान के कब्जे वाले इलाके से घिरे बाल्ख सूबा गए हैं ताकि तालिबान को पीछे धकेलने के लिए स्थानीय सरदारों से मदद मांगी जा सके. उन्होंने सेना प्रमुख को भी हटा दिया है.
काबुल पर फिलहाल सीधे तौर पर खतरा नहीं
तालिबान की बढ़त से फिलहाल काबुल पर सीधे तौर पर खतरा नहीं है लेकिन उसकी गति से सवाल पैदा हो रहे हैं कि अफगान सरकार कब तक अपने दूर दराज के इलाकों पर नियंत्रण रख सकेगी. कई मोर्चों पर सरकार के विशेष कार्रवाई बलों के साथ लड़ाई चल रही है जबकि नियमित सैनिकों के लड़ाई के मैदान से भागने की खबरे भी आ रही हैं. हिंसा की वजह से हजारों की संख्या में लोग शरण के लिए राजधानी पहुंच रहे हैं. इस महीने के अंत तक अपने सैनिकों की वापसी पूरा करने वाला अमेरिका कुछ हवाई हमले कर रहा है लेकिन खुद को जमीनी लड़ाई में शामिल करने से बच रहा है.
अफगानिस्तान में तालिबान के कहर से कोई नहीं बचा है. बच्चे सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं, जो ये जानते भी नहीं कि यहां बम और रॉकेट क्यों बरस रहे हैं. अमेरिका ने अफगानिस्तान में सैन्य कार्रवाई करने से इनकार कर दिया है. इससे तालिबान के हौसले और ज्यादा बुलंद हो गए हैं. तालिबान की बढ़ती ताकत का खामियाजा अफगानिस्तान के आम नागरिक भुगत रहे हैं. तालिबान के आतंक और अत्याचार के कारण अफगान नागरिक अपना सबकुछ छोड़कर सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए मजबूर हो रहे हैं. कुछ लोग काबुल भाग रहे हैं, तो कुछ लोग पाकिस्तान और इरान भी जा रहे हैं. ऐसे में लोगों की तादाद इतनी ज्यादा हो चुकी है कि इन जगहों की सीमाओं पर हजारों अफगान खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो रहे हैं.
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