Muharram in Afghanistan: अफगानिस्तान में तालिबानी शासन में शिया मुसलमान खासा परेशान नजर आ रहे हैं. अफगानिस्तान के शिया मुसलमानों ने तालिबानी लड़ाकों पर झंडे फाड़ने और टेंट उखाड़ने का आरोप लगाया है. अफगानी शिया मुसलमानों ने बताया कि उनको उनके ही देश में दबाया जा रहा है. तालिबान उन्हें मुहर्रम का मातम नहीं मनाने दे रहा है. 


दरअसल, अफगानिस्तान में तालिबानी शासन ने मुहर्रम को लेकर कड़े कानून बनाए हैं, इसके तहत मोहर्रम मनाने पर कई तरह के नियम लगा दिए गए हैं. हाल ही में, तालिबान ने हेरात और कई अन्य प्रांतों में आशूरा शोक मनाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं, जिससे शिया समुदाय खुद को तालिबानी दमन की चपेट में बता रहा है.


मुहर्रम मनाने पर तालिबानी प्रतिबंध
हश्त-ए-सुभ डेली मीडिया के मुताबिक, हेरात में तालिबान ने शिया मुसलमानों को निर्देश दिया है कि वे मुहर्रम समारोह केवल समूह द्वारा निर्धारित विशिष्ट स्थानों पर ही आयोजित करें. एक शिया धार्मिक विद्वान ने हश्त-ए-सुभ डेली को बताया कि मुहर्रम के संबंध में शिया विद्वानों के साथ कई बैठकें हो चुकी हैं. तालिबान ने इस बात पर जोर दिया कि समारोह निर्दिष्ट और सीमित क्षेत्रों में आयोजित किए जाने चाहिए. मुहर्रम के दौरान पैदल चलने वालों के लिए कोई सड़क या फुटपाथ बंद नहीं किया जाना चाहिए.


तालिबानी सरकार का विरोध
हेरात में तालिबान के सूचना एवं संस्कृति निदेशालय के प्रमुख अहमदुल्लाह मुत्ताकी का एक भाषण इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने मुहर्रम समारोहों को 'राजनीतिक और विदेशी नवाचार' बताया है. पिछले सप्ताह मुहर्रम आयोजन समिति में शिया विद्वानों के साथ एक बैठक के दौरान तालिबान अधिकारी ने कहा कि आशूरा के दौरान 'राजनीतिक नवाचारों' को रोका जाना चाहिए. दूसरी तरफ मुत्ताकी के भाषण पर लोगों ने कड़ी प्रतिक्रियाएं दी हैं.


विरोध करने पर पांच लोगों की हुई गिरफ्तारी
इस बीच हेरात प्रांत के जेब्रियल टाउनशिप के लोगों ने बताया कि पिछले पांच दिनों में तालिबान ने रात में शोक मनाने वालों के झंडों को कई बार फाड़ दिया. उन्होंने बताया कि आक्रामक तालिबानी लड़ाकों ने शिया बहुल जेब्रियल इलाके के पांच निवासियों को गिरफ्तार किया है. इसी बस्ती के निवासी अली रजा ने बताया कि तालिबान ने इलाके में कई लड़ाके तैनात किए हैं, जो रात में झंडे फाड़ देते हैं.


शिया मुसलमान चुप रहने के लिए मजबूर
अली रजा ने बताया कि 'छह-सात दिनों से हम मुहर्रम की तैयारी कर रहे हैं, टेंट लगा रहे हैं, झंडे लगा रहे हैं और शोक समारोहों के लिए चाय-पानी की व्यवस्था कर रहे हैं, लेकिन तालिबान हमारे और हमारे धर्म के खिलाफ काम कर रहा है.' हेरात के निवासियों ने बताया कि 'तालिबान सेना सुरक्षा देने के बहाने जेब्रियल आई है, लेकिन सुरक्षा देने के बजाय वे रात में सड़कों और घरों के प्रवेश द्वारों पर लगे टेंट और झंडे उखाड़ देते हैं. तालिबानी हमें घृणा की नजर से देखते हैं और हमें चुप रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है.'


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