Afghanistan Embassy: अफगान‍िस्‍तान से अमेर‍िका समर्थ‍ित सरकार को हटाए करीब दो साल का वक्‍त बीत चुका है. तालिबान के सत्‍ता में आने के बाद अब भारत स्‍थ‍ित राजनयिक मिशनों पर पूरा कंट्रोल लेने की खबरें भी सामने आ रही हैं. सरकारी टेलीविजन चैनल आरटीए के साथ मंगलवार को एक टीवी इंटरव्‍यू के दौरान तालिबान के उप विदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई ने दावा क‍िया क‍ि भारत के मुंबई और हैदराबाद में हमारे वाणिज्य दूतावास काम कर रहे हैं और विदेश मंत्रालय के संपर्क में हैं. 


साक्षात्‍कार के दौरान शेर मोहम्मद ने ड‍िटेल में ना बताते हुए कहा कि नई दिल्ली में दूतावास पिछले सप्ताह बंद हो गया था लेक‍िन अगले कुछ दिनों में फिर से खुल जाएगा. 






इस बीच देखा जाए तो हाल के कुछ महीनों में तालिबान भारत के करीब आया है ज‍िसको कट्टर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ करीबी सहयोगी के रूप में देखा है.  


पूर्व की सरकार में नियुक्त दर्जनों अफगान राजनयिक छोड़ चुके भारत 
 
नई दिल्ली में पूर्व अफगान राजदूत फरीद मामुन्दजई ने ब्लूमबर्ग न्यूज को बताया कि अमेरिका समर्थित सरकार के तहत नियुक्त दर्जनों अफगान राजनयिकों भारत छोड़ चुके हैं. वहीं जो बाकी हैं वो तालिबान के विदेश मंत्रालय का समर्थन करते हैं. 


फरीद मामुन्दजई कई माह पहले इस्तीफा देकर जा चुके हैं लंदन 
 
मामुन्दजई का कहना है, ''भारत ने सक्रिय रूप से राजनयिकों को तालिबान सरकार के साथ जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया है, जो काबुल से सीधे समर्थन प्राप्त लोगों के लिए सपोर्ट दिखा रहे हैं.'' बता दें फरीद मामुन्दजई अपने पद से इस्तीफा देकर कई महीने पहले लंदन जा चुके हैं.  


 






इस पूरे मामले पर भारत के विदेश मंत्रालय ने क‍िसी प्रकार की कोई ट‍िप्पणी करने से इनकार कर दिया है. 


पूर्व राजनय‍िक मामुन्दजई का कहना है क‍ि भारत में काम करने वाले अफगान राजनयिकों में मुंबई में महावाणिज्य दूत जकिया वारदाक और हैदराबाद में सैयद मोहम्मद इब्राहिमखेल के साथ-साथ व्यापार परामर्शदाता मोहम्मद कादिर शाह तालिबान के पीछे खड़े हैं. 


भारत ने निलंबित की हुई हैं अफगान नागरिकों की वीजा व कांसुलर सेवाएं 
 
वहीं, माना यह जा रहा है कि भारत तालिबान के साथ जुड़ने के रास्ते तलाशते हुए अफगानिस्तान में अपने निवेश को बचाने की कोश‍िश में है. वह वहां पर अपना वर्चस्‍व बनाए रखना चाहता है. नई दिल्ली की ओर से प‍िछले साल काबुल में अपना दूतावास खोला था ज‍िससे क‍ि वहां पर फूड और मेड‍िस‍िन जैसी मानवीय सहायता की आपूर्ति की जा सके. भारत की ओर से अभी अफगान नागरिकों के लिए वीजा सहित कांसुलर सेवाएं आद‍ि को काफी हद तक निलंबित ही रखा हुआ है. 


ताल‍िबान को राजनयिक प्रमाण पत्र जारी कर चुका है चीन 
 
दूसरी तरफ कई देशों ज‍िनमें पाक‍िस्‍तान, चीन और रूस आद‍ि हैं ज‍िन्‍होंने ताल‍िबान ड‍िप्‍लोमेट्स को स्‍वीकार कर ल‍िया है और औपचार‍िक तौर पर ता‍ल‍िबान सरकार को मान्‍यता भी दे दी है. 


इस सरकार की मानवाधिकार उल्लंघन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना भी की गई थी. चीन इकलौता ऐसा देश है ज‍िसने स‍ितंबर माह में ताल‍िबान को राजनयिक प्रमाण पत्र भी जारी क‍िया. 


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