इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर तालिबान के पक्ष में बयान दिया है. इमरान खान ने कहा है कि जब तक अशरफ गनी अफगानिस्तान के राष्ट्रपति बने रहेंगे, तब तक तालिबान वहां की सरकार से बात नहीं करेगा. इस्लामाबाद में विदेशी पत्रकारों से बात करते हुए इमरान ने कहा कि मौजूदा हालात में राजनीतिक समझौता मुश्किल दिख रहा है.


प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा, "मैंने तीन से चार महीने पहले तालिबान को मनाने की कोशिश की थी, जब वे यहां आए थे. लेकिन कोशिश नाकाम रही." वहीं अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के ताजा बयानों पर प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि पाकिस्तान को अपनी सरजमीं पर आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकाने के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. तालिबान और अन्य आतंकी समूहों के लिए जमीन की पहुंच में कटौती करनी चाहिए.


पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने अफगान पर क्या कहा


कुरैशी ने अफगानिस्तान में शांति के खिलाफ काम करने के लिए कुछ अज्ञात बल का उल्लेख किया था और समूह पर नजर रखने का आग्रह किया था. कुरैशी ने कहा था कि अफगानिस्तान के हालात के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन उनका मानना है कि अफगानिस्तान के बाहर कोई गुट शांति प्रक्रिया को खराब कर रहा है. 


बता दें, अफगनिस्तान पर 1996 से 9/11 के हमलों तक शासन करने वाले तालिबान ने बुधवार को तीन और प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर लिया, जिससे उन्हें देश के लगभग दो-तिहाई हिस्से पर प्रभावी नियंत्रण मिल गया. 9/11 के हमलों के बाद अमेरिकी बलों ने देश में अपनी पकड़ बनाई थी. विद्रोहियों के पास कोई हवाई बल नहीं है और उनकी संख्या अमेरिका द्वारा प्रशिक्षित अफगान रक्षा बलों से कम है, लेकिन फिर भी उन्होंने आश्चर्यजनक गति से क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है.


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