Afghanistan Crisis: आने वाले तीन दिनों में तालिबान अफगानिस्तान में सरकार का गठन कर सकता है. लेकिन अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से एक हिंदू कुश पहाड़ों में स्थित पंजशीर अब भी तालिबान के कब्जे से दूर है. यहां उसे भारी चुनौती मिल रही है.


न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, पंजशीर में गुरुवार को भी तालिबान के लड़ाकों और स्थानीय नेता अहमद मसूद के समर्थक आमने सामने थे. दोनों ही पक्षों का दावा है कि इस दौरान भारी संख्या में लोग हताहत हुए हैं.


तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि स्थानीय सशस्त्र समूह के साथ बातचीत विफल होने के बाद हमने ऑपरेशन शुरू किया है. उन्होंने दावा किया कि तालिबान के लड़ाके पंजशीर में घुस गए और कुछ इलाकों पर कब्जा कर लिया. उन्हें (दुश्मन को) भारी नुकसान हुआ है.


वहीं नेशनल रेसिस्टेंस फ्रंट ऑफ अफगानिस्तान (NRFA) के एक प्रवक्ता ने दावा किया कि सभी प्रवेश द्वारों पर उसका नियंत्रण है और शोतुल (Shotul) जिले में कब्जे के प्रयास को विफल कर दिया गया. 


उन्होंने पड़ोसी परवान प्रांत के एक कस्बे का जिक्र करते हुए कहा कि दुश्मन ने जबुल-सराज से शोतुल में प्रवेश करने के कई प्रयास किए, और वह हर बार असफल रहे.


बता दें कि 15 अगस्त को तालिबान ने पंजशीर को छोड़कर सभी प्रांतों पर कब्जा जमा लिया था. इसी के बाद से पंजशीर को लेकर लड़ाई चल रही है. इस लड़ाई को रोकने के लिए दोनों ही ग्रुप बातचीत के भी मंच पर आए लेकिन कोई सुलह का कोई रास्ता नहीं निकल सका.


पंजशीर की नेशनल रेसिस्टेंस फ्रंट ने बताया कि बातचीत इसलिए टूटी क्योंकि बातचीत में अहमद मसूद को निजी प्रस्तावों के साथ-साथ तालिबान ने जंग और हमले की धमकी दी थी. बता दें कि नॉर्दर्न एलायंस के प्रमुख अहमद मसूद 'पंजशीर के शेर' कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद के बेटे हैं.


नेशनल रेज़िसटेन्स फ्रंट की तरफ से जारी बयान में बताया गया है कि एक तरफ जहां तालिबान ने फ्रंट के नेता अहमद मसूद जूनियर को सत्ता में शामिल होने और साथ हीं एक प्रतिनिधि को शामिल करने का प्रस्ताव था वहीं अहमद मसूद कोई निजी डील नहीं बल्कि अफगानी नागरिकों के अधिकारों के लिए आश्वासन चाहते थे.


बयान में बताया गया कि जब तालिबानी नेता आमिर खान मुत्ताकी, मसूद जूनियर से बात कर रहे थे तब मुत्ताकी ने मसूद को जंग और हमले की धमकी दी थी. इस पर अहमद मसूद ने भी जवाब मे कहा कि वो अफगानिस्तान के नागरिकों और पंजशीर के लिए तालिबान से जंग लड़ने को तैयार हैं. नेशनल रेज़िसटेन्स फ्रंट का दावा है कि तालिबान से जारी जंग में अब तक 35 तालिबानी बंदी बनाए जा चुके हैं और 350 तालिबानी को मारा जा चुका है.


तालिबान में सरकार का गठन
तालिबान काबुल में ईरान की तर्ज पर नई सरकार का गठन करने जा रहा है. समूह के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा है कि तालिबान के सबसे बड़े धार्मिक नेता मुल्ला हेबतुल्ला अखुंदजादा को अफगानिस्तान का सर्वोच्च नेता बनाया जाएगा.


तालिबान के ‘सूचना एवं संस्कृति आयोग’ के वरिष्ठ अधिकारी मुफ्ती इनामुल्ला समांगनी ने बुधवार को कहा, “नई सरकार बनाने पर बातचीत लगभग अंतिम दौर में है और मंत्रिमंडल को लेकर भी चर्चा हुई.” उन्होंने कहा कि अगले तीन दिन में काबुल में नई सरकार बनाने के लिए समूह पूरी तरह तैयार है.


नई सरकार में 60 वर्षीय मुल्ला अखुंदजादा तालिबान सरकार के सर्वोच्च नेता होंगे. ईरान में नेतृत्व की तर्ज पर यह व्यवस्था की जाएगी जहां सर्वोच्च नेता देश का सबसे बड़ा राजनीतिक और धार्मिक प्राधिकारी होता है. उसका पद राष्ट्रपति से ऊपर होता है और वह सेना, सरकार तथा न्याय व्यवस्था के प्रमुखों की नियुक्ति करता है. देश के राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य मामलों में सर्वोच्च नेता का निर्णय अंतिम होता है.


समांगनी ने कहा, “मुल्ला अखुंदजादा सरकार के सर्वोच्च नेता होंगे और इस पर कोई सवाल नहीं होना चाहिए.” उन्होंने संकेत दिया कि राष्ट्रपति अखुंदजादा के अधीन काम करेंगे. मुल्ला अखुंदजादा तालिबान के सबसे बड़े धार्मिक नेता हैं और पिछले 15 साल से बलूचिस्तान प्रांत के कचलाक क्षेत्र में स्थित एक मस्जिद में कार्यरत हैं. समांगनी ने कहा कि नई सरकार के तहत, गवर्नर प्रांतों के प्रमुख होंगे और ‘जिला गवर्नर’ अपने जिले के प्रभारी होंगे. 


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