TAPI Gas Pipeline Challenges: भारत और ईरान के बीच कच्‍चे तेल और गैस (Gas) का बड़ा व्‍यापार होता है. इसके अलावा मध्‍य एशिया से भी नियमित गैस पहुंच सके, इसलिए भारत (India) तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्‍तान (Aafghanistan) और पाकिस्‍तान (Pakistan) से होते हुए तापी गैस पाइपलाइन बिछा रहा है. ये पाइपलाइन करीब 1,800 किलोमीटर लंबी होगी और इस पर 10 अरब डॉलर खर्च होने का अनुमान है. वहीं, इस प्रोजेक्‍ट पर अफगान तालिबान-हक्कानी और पाकिस्‍तानी हुकूमत की नजरें जमी हुई हैं.


संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार में शामिल आतंरिक मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी कई आर्थिक परियोजनाओं को अपने कब्जे में लेना चाहते हैं. और, कंगाली से जूझ रहे पाकिस्‍तान को उम्‍मीद है कि उसे इससे बड़ा फायदा होगा. इसलिए, पाकिस्‍तानी हुकूमत का कहना है कि इस परियोजना को हर हाल में पूरा होना चाहिए. पाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान पिछले कई महीनों से तापी पाइपलाइन के पुनरुद्धार पर बातचीत जारी रखे हुए हैं. ऐसी संभावना है कि जून के आखिरी हफ्ते में दोनों देश तापी पाइपलाइन को लेकर आखिरी समझौते तक पहुंच जाएंगे.




क्या है तापी पाइपलाइन परियोजना?
बता दें कि तापी (TAPI) पाइपलाइन का नाम- तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत के नाम के पहले अक्षर को जोड़कर बनाया गया है. इनमें तुर्कमेनिस्तान रूसी साम्राज्‍य वाले सोवियत यूनियन (USSR) का हिस्‍सा था. 1991 में सोवियत यूनियन के विघटन के बाद यह देश अलग हो गया. हालांकि, तुर्कमेनिस्तान में रूस का प्रभाव अब भी है, और रूस इन दिनों तापी पाइपलाइन को चालू करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है.


2015 में शुरू हुआ था निर्माण कार्य 
बिजनेस स्‍टैंडर्ड ने बताया कि एशिया के चार देशों तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत ने तापी (TAPI) गैस पाइपलाइन के विकास के लिए दिसंबर 2010 में एक अंतरार्ष्ट्रीय सरकारी समझौते (IGA) और गैस पाइपलाइन फ्रेमवर्क समझौते (GPFA) पर हस्ताक्षर किए थे. उसके 5 साल बाद 2015 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ, हालांकि 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान ने सत्‍ता कब्‍जा ली, और अस्थिरता के चलते ये परियोजना बाधित होने लगी. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में बताया गया है कि हक्कानी ग्रुप इस गैस पाइपलाइन के अफगानी हिस्‍से पर कंट्रोल करने की फिराक में है.




सुरक्षा को बना रहेगा खतरा 
विदेश मामलों के जानकार इस बात से चिंतित हैं कि ये पाइपलाइन बनने पर तालिबान और पाकिस्‍तानी संगठन कहीं गैस चोरी न करने लगें. हालांकि, इस पाइपलाइन के निर्माण और सुरक्षा के लिए पाकिस्तानी हुकूमत ने एक विशेष सैन्य टुकड़ी बनाने का प्रस्ताव दिया है. मगर, जैसा कि ये पाइपलाइन तो डेढ़ हजार किलोमीटर से भी ज्‍यादा लंबी होगी, तो सुरक्षा को खतरा बना रहेगा. 


यह भी पढ़ें: भारत को मित्रराष्ट्र से झटका! चीन के कहने पर पहली बार रूस ने पाकिस्तान को पहुंचाया सस्ता कच्चा तेल