Research On Teachers In America: अमेरिका में जैसे-जैसे शिक्षकों की कमी हो रही है. वहां मौजूदा वक्त में ड्यूटी कर रहे शिक्षकों पर काम का बोझ बढ़ता जा रहा है. ऐसे में कई शिक्षक संतुष्टि न होने की वजह से नौकरियां छोड़ रहे हैं. यहां मिसौरी यूनिवर्सिटी (University Of Missouri) के रिसर्च में ये बात सामने आई है कि तनावग्रस्त और थके हुए शिक्षक अपना पेशा छोड़ रहे हैं.


मिसौरी यूनिवर्सिटी की स्‍टडी के मुताबिक, शिक्षक अपनी नौकरी में तनाव से जूझ रहे हैं और उन्हें इस काम में संतुष्टि नहीं मिल रही हैं. इस यूनिवर्सिटी में पूर्व डॉक्टरेट सेठ वुड्स ने कीथ हरमन, एमयू कॉलेज ऑफ एजुकेशन एंड ह्यूमन डेवलपमेंट में क्यूरेटर के प्रतिष्ठित प्रोफेसर और अन्य लोगों के साथ मिलकर एक सर्वे किया. 


इन लोगों ने मिसौरी और ओक्लाहोमा के 2,300 शिक्षकों के सर्वे डेटा का विश्लेषण करने के लिए सहयोग किया. इसमें इसका पता लगाने के कहा गया था कि जो शिक्षक काम पर हैं, उनमें तनाव कितना है और उस दौरान वे तनाव से निपटने के तरीके अपनाते हैं या नहीं, वे अपनी नौकरी से संतुष्ट हैं या नहीं.




मिसौरी और ओक्लाहोमा के 2,300 शिक्षकों का सर्वे
वुड्स ने कहा कि हमने जो देखा, वो खासा चौंकाने वाला तो नहीं था, लेकिन स्‍टडी ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि कैसे काम के तनाव से निपटने की क्षमता या अक्षमता, किसी शिक्षक को उसके योगदान में एक महत्वपूर्ण कारक हो सकती है, कैसे आखिर में कई शिक्षकों को तनाव के कारण पेशा छोड़ना पड़ जाता है. 


'हेल्‍दी कॉपीइंग मैकेनिज्‍म' को समझना होगा
वुड्स ने कहा, "एक शिक्षक के रूप में अपने 20 वर्षों में, मैंने देखा है कि कई महान लोग इस पेशे को छोड़ देते हैं, और यह रिसर्च इस बात की पुष्टि करता है कि शिक्षकों को हेल्‍दी मैकेनिज्‍म समझने उसे अपनाने में मदद करने के लिए हमें अधिक समय और संसाधनों को देना शुरू करना होगा."


उन्‍होंने कहा, "जैसे एक कोलंबिया, मिसौरी में बेउला राल्फ एलीमेंट्री स्कूल में एक प्रिंसिपल हैं. वे तनाव को कम करने के तरीके खोजने और सकारात्मक तरीके से उससे निपटने की कोशिश करते हैं. हमने जो रिसर्च की है, उससे हमें हर समय नए शिक्षकों को लगातार काम कराने और उन्‍हें प्रशिक्षित करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा, अनुभवी शिक्षकों को बनाए रखने से छात्रों को बड़ा फायदा मिलेगा."


'स्ट्रेस मैनेजमेंट फॉर टीचर्स: ए प्रोएक्टिव गाइड' बुक पढ़ें
वुड्स के मुताबिक, रिसर्च करने वाली टीम ने पाया कि पॉजिटिवटी और हेल्‍दी कॉपीइंग मैकेनिज्‍म को बढ़ावा दें तो शिक्षकों को अपना कर्तव्‍य निभाने में आसानी होगी और वे तनाव-मुक्‍त रह सकेंगे. तनाव से जूझ रहे शिक्षकों के लिए वुड्स सुझाव देते हैं कि एक हेल्‍दी कॉपीइंग मैकेनिज्‍म के लिए जरूरी है वे इस तरह पढ़ाएं जिससे माहौल खुशनुमा हो.


हरमन ने "स्ट्रेस मैनेजमेंट फॉर टीचर्स: ए प्रोएक्टिव गाइड" नामक किताब लिखी है. उनका कहना है कि छात्रों और साथियों के साथ सकारात्मक बातचीत बढ़ाने, कक्षा प्रबंधन कौशल में सुधार करने और काम पर गपशप से बचने जैसी सरल चीजें भी मदद कर सकती हैं. 


'व्यवस्थित मुद्दे सुलझाने होंगे'


हरमन ने कहा कि व्यवस्थित मुद्दे, जैसे कि शिक्षक को कम वेतन और शिक्षक पर अत्यधिक काम का दवाब होना उन्‍हें इस पेशे से दूर करने की बड़ी वजह हैं. ऐसे में स्कूल के प्रधानाचार्य, जिला अधीक्षक और स्कूल प्रशासक उन सभी तनावग्रस्त शिक्षकों को सहयोग कर एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.


'ऐसा स्कूली वातावरण होना चाहिए तैयार'


हरमन ने कहा, "शिक्षकों के साथ उनकी चिंताओं के बारे में संवाद करना, सहानुभूति प्रदर्शित करना और उनके स्वास्थ्य और कल्याण की जांच करना दर्शाता है कि आप उनकी परवाह करते हैं." उन्‍होंने कहा, "हमारा समग्र लक्ष्य ऐसा स्कूली वातावरण तैयार करना है, जो शिक्षकों को फलने-फूलने और उन्हें सफल होने के लिए आवश्यक साधन प्रदान करने की अनुमति देता है."


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