Terran First 3d Printed Rocket: आपने धरती से आसमान में जाते रॉकेट खूब देखे होंगे. 100-200 फीट लंबाई वाले रॉकेट आसमान में सैकड़ों किलोमीटर की ऊंचाई तक चले जाते हैं. ज्‍यादातर रॉकेट का इस्‍तेमाल सेटेलाइट्स की लॉन्चिंग में होता है. ये रॉकेट कई प्रकार के होते हैं, जिनमें फिलहाल 3डी प्रिंटेड (3d Printed Rocket) तकनीक से बने रॉकेट की चर्चा दुनियाभर में हो रही है.


लगभग पूरी तरह 3डी प्रिंटेड तकनीक से तैयार एक रॉकेट की पहली उड़ान शनिवार को होनी थी. जैसे ही उसका इंजन स्‍टार्ट किया गया था, वो अचानक बंद हो गया. जिससे वह रॉकेट अपने लॉन्चिंग पैड पर ही खड़ा रह गया. इस रॉकेट को अमेरिका में रिलेटिविटी स्पेस कंपनी ने तैयार किया था. इस रॉकेट का नाम था- ‘टेरान’ (Terran 1).




3डी प्रिटिंग के रॉकेट का दुनिया में पहला प्रयोग 


यह रॉकेट 110 फीट का था. रिलेटिविटी स्पेस के इंजीनियर्स का कहना है कि इंजन समेत रॉकेट का 85% हिस्सा कैलिफोर्निया के लॉन्ग बीच में कंपनी के मुख्यालय में रखे बड़े 3डी प्रिंटरों से बनाया गया. यह इस तरह का दुनिया में पहला प्रयोग था. हालांकि, शनिवार (11 मार्च) को जब इस रॉकेट की लॉन्चिंग की बारी आई तो इंजन अचानक बंद हो गया. इसे केप केनवरल स्पेस फोर्स स्टेशन से दोबारा उड़ाने की कोशिश की गई, लेकिन फ्लाइट कम्प्यूटर ने 45 सेकंड शेष रहते उलटी गिनती रोक दी.


आखिर क्या वजह रही असफलता की?


उड़ान की असफलता के बाद रिलेटिविटी स्पेस ने इसकी पहली बार की समस्या के लिए स्वचालित सॉफ्टवेयर को और दूसरी बार समस्या के लिए ईंधन के कम दबाव को जिम्‍मेदार ठहराया. यदि ये उड़ान सफल हो जाती तो दुनिया में तकनीक की नई होड़ शुरू हो जाती.


अब फिर से की जाएगी कोशिश


स्‍पेस मिशन के एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि 3डी प्रिंटेड तकनीक से तैयार रॉकेट का मिशन अभी खत्‍म नहीं हुआ. इस पर कंपनी फिर से काम करेगी. हालांकि, अभी कंपनी ने यह नहीं बताया कि वह फिर कब प्रक्षेपण का प्रयास करेगी.


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