World Hindu Congress: थाईलैंड के प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिनी (Thailand PM Srettha Thavisin) ने हिंदू धर्म को लेकर बड़ा बयान दिया है. थाई पीएम ने आशा जताई कि उथल-पुथल से जूझ रही दुनिया को अहिंसा, सत्य, सहिष्णुता और सद्भाव के हिंदू मूल्यों से प्रेरणा लेनी चाहिए तभी विश्व में शांति की स्थापना हो सकेगी.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, थाईलैंड प्रधानमंत्री ने कहा कि हिंदू धर्म के सिद्धांतों और मूल्यों पर आयोजित विश्व हिंदू कांग्रेस की मेजबानी करना हमारे देश के लिए सम्मान की बात है. विश्व में हिन्दुओं की एक प्रगतिशील और प्रतिभासंपन्न समाज के रूप में पहचान स्थापित करने के उद्देश्य से ही इस भव्य सम्मेलन का शुभारंभ हुआ है.
'धर्म की विजय' के उद्घोष के साथ प्रख्यात संत माता अमृतानंदमयी, भारत सेवाश्रम संघ के स्वामी पूर्णात्मानंद, आरएसएस के सरसंघचालक मोहनराव भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले, विहिप के महामंत्री मिलिंद परांडे और कार्यक्रम के संस्थापक-सूत्रधार स्वामी विज्ञानानंद ने दीप प्रज्ज्वलित कर सत्रारंभ किया.
'हिन्दू धर्म के सत्य व सहिष्णुता के सिद्धांतों का हमेशा आदर रहा'
इस कार्यक्रम के उद्घाटन सेशन के दौरान मेजबान देश के पीएम श्रेथा थाविसिनी को भी शिरकत करनी थी लेकिन किन्ही वजह से वह शामिल नहीं हो सके. सभा में थाई प्रधानमंत्री की तरफ से भेजे मैसेज को पढ़ा गया. उन्होंने कहा कि थाईलैंड की भारत से भौगोलिक दूरी जो भी हो लेकिन हिन्दू धर्म के सत्य और सहिष्णुता के सिद्धांतों का हमेशा से आदर रहा है. उन्होंने अपने संदेश के माध्यम से यह भी आशा जताई कि अशांति से जूझ रहे विश्व में हिंदू जीवन मूल्यों से प्रेरणा लेकर शांति स्थापित हो सकती है.
थाईलैंड में भारतीय समुदाय की करीब 10 लाख आबादी
थाईलैंड में आयोजित वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस सम्मेलन में दुनियाभर के 61 देशों से आमंत्रित 2,200 से ज्यादा प्रतिनिधि एकत्र हुए हैं. यह सभी शिक्षा, अर्थतंत्र, अकेडेमिक, रिसर्च एंड डेवल्पमेंट, मीडिया और राजनीति के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल करने वाले हैं. इनमें से करीब 25 देशों के सांसद एवं मंत्री भी शामिल हैं. थाईलैंड में भारतीय समुदाय के करीब 10 लाख लोग रहते हैं जिनका देश के व्यापार और आर्थिक विकास में बड़ा योगदान है. हालांकि पीएम के सम्मेलन में नहीं पहुंचने की वजह से लोगों में कुछ निराशा भी देखी गई.
'दुनिया भारत की तरफ आशा भरी नजरों से देख रही'
सम्मेलन के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि अगर पूरा विश्व सद्भाव चाहता है, तो भारत के बिना यह संभव नहीं है. दुनिया में जो लोग इस दुनिया को एक साथ चाहते हैं, जो एक साथ सबका उत्थान चाहते हैं, वे धर्मवादी हैं. हिंदुओं के प्रति धर्म का दृष्टिकोण वैश्विक धर्म विचारों को जन्म देगा. दुनिया हमारी ओर आशा भरी नजरों से देख रही है और हमें इसे पूरा करना है.
'भारत के रक्षा और सुरक्षा संबंध 2014 के बाद थाईलैंड के साथ बढ़े'
इस बीच देखा जाए तो भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में कहा कि थाईलैंड के साथ भारत के रक्षा और सुरक्षा संबंध 2014 के बाद बढ़े हैं. उन्होंने कहा कि थाईलैंड सरकार ने भी यही भावना दिखाई है.
'25 सालों में अब भारत-थाईलैंड के संबंध और ज्यादा मजबूत'
थाईलैंड में भारतीय प्रवासियों को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत की पूर्व की ओर देखो नीति है जबकि थाईलैंड की पश्चिम की ओर देखो नीति है. उन्होंने 2014 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद भारत-थाईलैंड संबंधों के संदर्भ में हुए बदलावों पर प्रकाश डाला. उन्होंने यह भी कहा कि खासकर, पिछले 25 सालों में अब यह वह समय है जब भारत-थाईलैंड के संबंध और ज्यादा मजबूत हुए हैं.
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