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Corona ने ‘लैंगिक असमानता’ की खाई को किया और गहरा, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट में मिली जानकारी
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की हालिया जेंडर गैप रिपोर्ट (World Economic Forum's latest Gender Gap report) के मुताबिक इस महामारी ने लैंगिक असमानता (gender inequality) को और भी ज्यादा बढ़ा दिया है.
कोरोना महामारी ने वैसे तो पूरी दुनिया में समाज के हर वर्ग को हिलाकर रख दिया है, लेकिन महिलाओं को लिए ये ज्यादा परेशानी की वजह बना है. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की हालिया जेंडर गैप रिपोर्ट (World Economic Forum's latest Gender Gap report) के मुताबिक इस महामारी ने लैंगिक असमानता (gender inequality) को और भी ज्यादा बढ़ा दिया है.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुमान के मुताबिक इस महामारी के कारण काम (रोजगार) करने वाली कुल महिलाओं में से 5 फीसदी को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी. जबकि पुरुषों में रोजगार गंवाने वालों को प्रतिशत 3.9 था. लिंक्डइन के डेटा से भी ये स्पष्ट है कि उच्च पदों पर या लीडरशिप की भूमिका के लिए महिलाओं को रोजगार प्रदान करने में काफी गिरावट आई है.
महिलाओं ने उठाई बड़ी परेशानी
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मार्केट रिसर्च करने वाली संस्था Ipsos के सर्वे के अनुसार महामारी के दौरान महिलाओं को वैतनिक व अवैतनिक दोनों ही कार्य डबल शिफ्ट के रूप में करने पड़े. स्कूलों के बंद होने व care services की अनुप्लब्धता के कारण महिलाओं को अपने कामकाज व निजी जीवन में संतुलन बनाने में काफी परेशानी पेश आई.
क्लाउड कंप्यूटिंग को लेकर सामने आया ये डेटा
हालांकि आने वाले समय में उभरती नौकरियों में ज्यादा लैंगिक समानता दिखाई दे रही है. हालांकि इसके लिए अभी एक लंबा सफर तय किया जाना है. क्लाउड कम्यूटिंग में महिलाओं की हिस्सेदारी 14.2 प्रतिशत है, इसमें पिछली बार के मुकाबले 0.2 फीसदी का सुधार है. डेटा और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस में महिलाओं की भागीदारी 32.4 है, पिछली बार के आंकड़ों की तुलना में इसमें 0.1 फीसदी की गिरावट है.
पूरी दुनिया की तुलना में भारत की बात करें तो लैंगिक भेदभाव के मामले में भारत 156 देशों (जिन देशों में सर्वे किया गया) में से 140 वें स्थान पर है. इस सर्वे में भारत पिछले साल की तुलना में 28 पायदान नीचे गिर गया है. हालांकि राजनीतिक क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण की स्थिति बेहतर हुई है. इस मामले में भारत 51 वीं पायदान पर है. लेकिन स्वास्थ्य में 155, आर्थिक भागीदारी में 151 औऱ शिक्षा में 114 वें स्थान पर रहने वाली भारत में लैंगिक समानता के आंकड़े निराशाजनक हैं.
इस सर्वे में आइसलैंड, फिनलैंड, नॉर्वे और न्यूजीलैंड लैंगिक समानता में सबसे ऊंची पायदानों पर हैं. इन चारों देशों में देश की प्रधानमंत्री एक महिला है.
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