पाकिस्तान में इमरान सरकार के भंग करने के मामले की जहां एक तरफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही तो वहीं दूसरी तरफ वहां के चुनाव आयोग ने अपने पहले के दिए बयान से यूटर्न ले लिया है. पाकिस्तान चुनाव आयोग ने 3 महीने में चुनाव कराने पर असमर्थता जताने वाले बयान पर पलटते हुए इस पर सफाई दी और इसे निराधार करार दिया. पाकिस्तान चुनाव आयोग ने ट्वीट करते हुए कहा कि हमारी तरफ से ऐसा कुछ भी बयान नहीं दिया गया है.


इससे पहले, पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने कहा था कि कानूनी, संवैधानिक और अन्य प्रकार की चुनौतियों के चलते वह तीन महीने में आम चुनाव कराने में सक्षम नहीं है. प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ रविवार को संसद में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के खारिज होने के कुछ ही मिनटों बाद खान ने तीन महीने के भीतर चुनाव कराने का सुझाव देकर विपक्ष को चौंका दिया था. 


मतदाता सूची तैयार करना ऐसी प्रमुख चुनौतियां हैं


इसके बाद खान ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी से सिफारिश कर 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली भंग करवा दी थी. डॉन अखबार के अनुसार, निर्वाचन आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि निर्वाचन क्षेत्रों का नए सिरे से परिसीमन होना और जिला तथा निर्वाचन क्षेत्र के आधार पर मतदाता सूची तैयार करना ऐसी प्रमुख चुनौतियां हैं, जिनके कारण आम चुनाव कराने में लगभग छह महीने का समय लग सकता है.


अधिकारी ने कहा कि खैबर पख्तूनख्वा में 26वें संशोधन की वजह से सीटों की संख्या बढ़ गई है. खबर के अनुसार, अधिकारी ने कहा, “परिसीमन में ज्यादा समय लगता है, जहां कानून के अनुसार केवल आपत्ति दर्ज कराने का आमंत्रण देने के लिए एक महीना अतिरिक्त चाहिए.” अधिकारी ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया से संबंधित सामग्री खरीदना, मतपत्रों की व्यवस्था करना और चुनाव कर्मियों की नियुक्ति तथा प्रशिक्षण भी एक चुनौती है. उन्होंने कहा कि कानून के मुताबिक, चुनाव में मतपत्रों और वाटरमार्क का इस्तेमाल होगा, जो देश में उपलब्ध नहीं हैं, लिहाजा इनका आयात करना पड़ेगा.


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