Hellfire R9X : अलकायदा के नेता अयमान अल-जवाहिरी को मारने वाली निंजा मिसाइल (आर9एक्स) लगभग 50 साल पुरानी है. यह मिसाइल खतरनाक पुराने हथियारों की नई पीढ़ी का हिस्सा है. इससे सटीक निशाने से दुश्मन का खात्मा किया जाता है.
यह मिसाइल निशाने के अलावा आसपास के लोगों को जरा सा भी नुकसान नहीं पहुंचाती है. यह जानकारी इंग्लैंड के पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय में अप्लाइड एथिक्स के प्रोफेसर और सुरक्षा एवं जोखिम अनुसंधान के निदेशक पीटर ली ने दी है. उन्होंने इस मिसाइल के बारे में विभिन्न जानकारी तो दी ही हैं. इसके साथ ही बदलती युद्ध तकनीक और भविष्य को लेकर भी चर्चा की है.
दोहा शांति समझौते पर खड़े हुए सवाल
उन्होंने बताया कि अमेरिका की सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) द्वारा अलकायदा के नेता अयमान अल-जवाहिरी को मारने से अमेरिकी नेताओं और अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के बीच अविश्वास और गहराने लगा है. इस घटना से अमेरिका और तालिबान के बीच 2020 में हुए दोहा शांति समझौते पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. वहीं खतरनाक मिसाइलों के प्रयोग का प्रभाव भी व्यापक होने लगा है. अब अंतरराष्ट्रीय हथियारों की गति और प्रकृति में बदलाव हो रहे हैं.
अल-जवाहिरी को मारने वाली द हेल्फायर आर9एक्स निंजा मिसाइल की जानकारी देते हुए बताया कि यह मिसाइल तकरीबन 50 साल पुरानी है. जिसमें समय के साथ-साथ कई बदलाव होते रहे हैं. इसीलिए यह निंजा मिसाइल सीधे आतंकवादी पर दागी जाती है. अपने निशाने पर सटीक पहुंचकर दुश्मन का खात्मा करती है. इसके विस्फोट से आसपास के लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है.
सोवियत टैंक को नष्ट करने के लिए तैयार की गई थी मिसाइल
पीटर ली ने बताया कि इस निंजा मिसाइल का उपयोग 1970-1980 के बीच सोवियत टैंक को नष्ट करने के लिए किया गया था. इसी दौरान यह मिसाइल तैयार की गई थी. इसके बाद 1990 के दशक में अन्य क्षमताओं के साथ इसके नए-नए कई संस्करण विकसित किए गए. बाद में इन्हें रीपर ड्रोन या हेलीकॉप्टर से भी दागा जाने लगा.
2017 में अलकायदा आतकंवादी को मारने में भी हुई थी इस्तेमाल
Hellfire R9X (हेल्फायर आर9एक्स) मिसाइल का इस्तेमाल 2017 में भी किया गया था. सीरिया में अलकायदा के आतंकवादी अबु खैर अल मसरी को मारने के लिए इसका उपयोग हुआ था.
सुपर हथियार युद्ध लड़ने के तरीकों में कर सकते हैं बदलाव
पीटर ली का मानना है कि अब विध्वंसक सुपर हथियारों का दौर है. अन्य सुपर हथियार लोगों के जीवन जीने के तरीके और युद्ध लड़ने के तरीकों में काफी बदलाव ला सकते हैं. रूस ने पुरानी प्रौद्योगिकी पर आधारित विभिन्न सुपर हथियारों के लिए खूब निवेश किया है. ऐसी ही रूस की अवानगार्ड मिसाइल का पता लगाना बहुत मुश्किल होता है. वहीं चीन की डीएफ-17 हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल भी अमेरिकी मिसाइल रक्षा प्रणाली से बचने के लिए विकसित हुई है.
पसंद किये जा रहे हैं स्वायत्त हथियार
वर्तमान युग में अब देश स्वायत्त अथियारों को रखना पसंद कर रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मशीन गन से लैस रोबोट, कुत्तों की मौजूदगी बताती है कि जान को जोखिम में डाले बिना ही युद्ध लड़ा जा सकता है. वहीं, तुर्की ने दावा किया है कि उसके द्वारा बनाए गए चार प्रकार के स्वायत्त ड्रोन काफी कारगर हैं. जो किसी मानवीय ऑपरेटर या जीपीएस के निर्देश के बिना अपने लक्ष्य की पहचान करके उसे मार भी सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र की मार्च 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार लीबिया इन हथियारों का इस्तेमाल काफी पहले से कर रहा है.
क्या बदलने चाहिए युद्ध के नियम ?
बदलते दौर में क्या भविष्य के इन हथियारों को सीमित करने के लिए नए कानूनों या संधियों की आवश्यकता है? अमेरिका ने उपग्रह-रोधी मिसाइल परीक्षण रोकने के लिए एक वैश्विक समझौता करने का आह्वान किया है. लेकिन अभी तक इस दिशा में जरा सी भी पहल नहीं हुई है. जबकि अमेरिका मध्यम दूरी परमाणु शक्ति संधि से पीछे हट गया है.
मानवीय हस्तक्षेप की नहीं पड़ती है आवश्यकता
घातक स्वायत्त हथियारों की प्रणालियां रोज नए नए तरीकों से विकसित हो रही है. इन हथियारों का अब विशेष वर्ग है.ये मशीन लर्निंग और अन्य प्रकार की कृत्रिम मेधा का इस्तेमाल करके अपना निर्णय स्वयं लेती हैं. इनमें मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती है.
स्वायत्त हथियार प्रणाली पर लगे प्रतिबंध
स्टॉप द किलर रोबोट्स समूह ने घातक स्वायत्त हथियार प्रणाली पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया है. जिनेवा में स्वायत्त हथियारों पर संयुक्त राष्ट्र की चर्चा को लेकर अघोषित गतिरोध भी बना हुआ है.
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