ऩई दिल्ली: दक्षिण कोरिया ने चेतावनी दी है कि उत्तर कोरिया का तानाशाह अपनी ही गीदड़ भभकियों का शिकार हो जायेगा. दक्षिण कोरिया के उप-विदेश मंत्री के मुताबिक, भले ही उत्तर कोरिया ने सफल परमाणु परीक्षण कर लिया हो लेकिन वो युद्ध छेड़ने की गलती नहीं करेगा. दक्षिण कोरिया के उप-विदेश मंत्री, चो हुयान सोमवार को राजधानी सियोल में भारतीय मीडिया से उत्तर कोरिया के तानाशाह की धमकियों और कोरियाई प्रायद्वीप में मंडरा रहे युद्ध के बादलों पर बात कर रहे थे. इस प्रेस कांफ्रेंस में एबीपी न्यूज भी मौजूद था.


एबीपी न्यूज के सवाल पर दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री ने कहा कि जिस तरह भारत (और भारतीय सेना ने) कोरियाई युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी वो चाहते हैं कि आज भी भारत को उत्तर कोरिया के 'डिन्युक्लिराईजेशन' यानि परमाणु हथियारों के प्रचार-प्रसार को कम करने में मदद करे. साथ ही कहा कि भले ही कोरियाई तनाव बेहद संवदेनशील मुद्दा है लेकिन सही समय आने पर साउथ कोरिया भारत के जरिए उत्तर कोरिया से बातचीत की कोशिश करेगा. उन्होनें कहा कि आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर भी दक्षिण कोरिया से सहयोग बढ़ाना चाहता है.


गौरतलब है कि 1950 में उत्तर और कोरिया के युद्ध के दौरान भारतीय सेना की मेडिकल कोर ने दोनों देशों के घायल सैनिकों के उपचार के लिए मिलेट्री हॉस्पिटल स्थापित किया था. साथ ही युद्ध खत्म होने के बाद हुए आर्मिस्टस एग्रीमेंट (Armistice Agreement)  के तहत भारतीय सेना ने संयुक्त राष्ट्र के दिशा-निर्देश पर युद्धबंदियों की अदला-बदली कराई थी.


भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल है जिसकी एंबेसी उत्तर और दक्षिण कोरिया दोनों में है. उत्तर कोरिया में काफी कम देशों के दूतावास हैं. एक सवाल के जवाब में चो हुयान ने कहा कि जिस तरह से किम जोंग उन धमकियां देता रहता है उसे दक्षिण कोरिया पसंद नहीं करता है. उन्होनें कहा कि वो अपनी ही धमकियों (rehtorics) का शिकार हो जायेगा. उन्होनें कहा कि भले ही उत्तर कोरिया ने परमाणु हथियार तैयार कर लिए हो लेकिन किम जोंग उन ना तो युद्ध छेड़ सकता है और ना ही कोरियाई प्रायद्वीप के एकीकरण कर पायेगा (यानि दक्षिण कोरिया को जीत कर अपने साथ मिला सकता है).


ये है तानाशाह पर दवाब की असली वजह


उपविदेश मंत्री ने कहा कि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति के दक्षिण कोरिया की यात्रा से तानाशाह पर काफी दवाब पड़ा है. उन्होनें कहा कि इससे उन्हें लगता है कि उत्तर कोरिया राजयनिक हल की कोशिश करेगा. हाल ही में डिमिलिट्राइज़ जोन यानि डीएमजे के ज्वाइंट सिक्योरिटी एरिया (जेएसए) के रास्ते दक्षिण कोरिया भाग आए नार्थ कोरिया के सैनिक के बारे में उन्होंने कहा कि वो यहां आकर काफी खुश है. प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा कि ये सर्वविदित है कि पाकिस्तान के एक साइंटिस्ट (ए क्यू खान)  ने न्युक्लिर मिसाइल तैयार करने में उत्तर कोरिया की मदद की थी लेकिन अब पाकिस्तान उत्तर कोरिया के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र द्वारा लगाएं प्रतिबंधों का ध्यान रखेगा.


चो हुयान ने कहा कि उनकी सरकार इस बात पर भी विचार कर रही है कि उनकी देश की एक कंपनी पीओके (यानि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर) में अपना उर्जा प्लांट लगाने पर फिर से विचार करे. चो हुयान कोरिया के उपविदेश मंत्री बनने से पहले भारत में दक्षिण कोरिया के राजदूत के पद पर तैनात थे. वे दिल्ली में दो साल तक अपनी सेवाएं दे चुके हैं.


कोरियाई प्रायद्वीप में चल रहे तनाव के बीच दक्षिण कोरिया ने अपना पक्ष रखने के लिए चुनिंदा भारतीय मीडिया को सियोल आमंत्रित किया है. एबीपी न्यूज भी पत्रकारों के इस भारतीय प्रतिनिधिनंडल मंडल का हिस्सा है.