(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन में जंग जारी, जानें कौन से देश अभी भी खरीद रहे हैं रूसी तेल
मॉस्को पर अमेरिका के तेल प्रतिबंध सहित पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद भारत को रूसी तेल खरीदना चाहिए या नहीं, इस पर एक उग्र बहस चल रही है.
Russia-Ukraine War: यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के विरोध में मॉस्को पर अमेरिका के तेल प्रतिबंध सहित पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद भारत को रूसी तेल खरीदना चाहिए या नहीं, इस पर एक उग्र बहस चल रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय तेल कंपनियों द्वारा रूसी कच्चे तेल को भारी छूट पर खरीदने के सौदों को अंतिम रूप देने की बात सामने आई है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकारी सूत्रों ने शुक्रवार को कहा था कि भारत के वैध ऊर्जा लेनदेन का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए और तेल में आत्मनिर्भर देश या खुद रूस से आयात करने वाले देश प्रतिबंधात्मक व्यापार की वकालत नहीं कर सकते.
रियायती कच्चे तेल की रूसी पेशकश पर भारत की सकारात्मक प्रतिक्रिया की संभावना के बारे में पूछे जाने पर व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था, "मुझे नहीं लगता कि यह उस (प्रतिबंधों) का उल्लंघन होगा." साकी ने कहा, "लेकिन यह भी सोचें कि इस समय के इतिहास की किताबें लिखी जाने पर आप कहां खड़े होना चाहते हैं. रूसी नेतृत्व के लिए समर्थन एक आक्रमण के लिए समर्थन है जिसका स्पष्ट रूप से विनाशकारी प्रभाव पड़ा है."
हम आपको बताने जा रहे हैं कि कौन से देश और कंपनियां अभी भी रूसी कच्चा तेल खरीद रही हैं:-
बुल्गारिया: एक सरकारी अधिकारी ने कहा, “बाल्कन प्रायद्वीप पर सबसे बड़ा तेल शोधन उद्यम, नेफ्तोचिम बर्गास रिफाइनरी - रूस के लुकोइल के स्वामित्व वाली और बुल्गारिया के घरेलू बाजार में ईंधन का प्राथमिक आपूर्तिकर्ता, यदि जरूरी हो तो 100 प्रतिशत गैर-रूसी कच्चे तेल का उपयोग कर सकता है, वर्तमान में 40 प्रतिशत से ऊपर प्रयोग कर रहा है.”
चीन: यूरोपीय संघ के बाद चीन दूसरा सबसे बड़ा रूसी तेल आयातक है, और अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) का कहना है कि समुद्री शिपमेंट भी बढ़ सकता है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट बताती है कि पेट्रो-लॉजिस्टिक्स, जो तेल उत्पादन पर नज़र रखता है और कार्गो ट्रैकिंग डेटा और व्यापार प्रवाह इंटेलीजेंस का अग्रणी प्रदाता है, चीन में अधिक रूसी कच्चे तेल की खपत देखता है.
यूरोपीय संघ (ईयू): 27-सदस्यीय ब्लॉक, जो 40 प्रतिशत गैस और 27 प्रतिशत कच्चे तेल के आयात के लिए रूस पर निर्भर है, रूसी तेल पर अंकुश लगाने को लेकर विभाजित हैं. हालांकि ईयू की लंबे समय तक रूसी जीवाश्म ईंधन को छोड़ने की योजना है. यूरोपीय संघ के राज्य रूस की प्रमुख तेल कंपनियों रोसनेफ्ट, ट्रांसनेफ्ट और गज़प्रोम नेफ्ट के खिलाफ नए प्रतिबंधों को अपनाने के लिए तैयार हैं, लेकिन उनसे तेल खरीदना जारी रखेंगे.
फ्रांस: 2021 में कुल आयात का 9.5 प्रतिशत रूसी कच्चे तेल का था. फिर भी, फ्रेंच एसोसिएशन ऑफ पेट्रोलियम इंडस्ट्री (यूएफआईपी) ने कहा कि वैकल्पिक आपूर्ति मिल सकती है. इसका कहना है कि यह पहले से ही रूसी डीजल से दूर जा रहा है.
ग्रीस: ग्रीस के सबसे बड़े तेल रिफाइनर हेलेनिक पेट्रोलियम ने कहा कि 2021 की दूसरी छमाही में रूसी कच्चे तेल का लगभग 15 प्रतिशत फ़ीड था, लेकिन इसे बदला जा सकता है. इसने पहले ही सऊदी अरब से अतिरिक्त आपूर्ति हासिल कर ली है.
भारत: हिंदुस्तान पेट्रोलियम, भारत के राज्य रिफाइनर, ने व्यापारिक स्रोतों के अनुसार, मई लोडिंग के लिए 2 मिलियन बैरल रूसी यूराल खरीदे. व्यापार सूत्रों ने कहा कि भारत के शीर्ष रिफाइनर इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने मई डिलीवरी के लिए 30 लाख बैरल यूराल खरीदे.
तुर्की: तुर्की का रूसी कच्चे तेल और संबंधित उत्पादों की खरीद बंद करने की कोई योजना नहीं है. यह मॉस्को पर प्रतिबंधों का विरोध करता है.
नीदरलैंड: न तो डच सरकार और न ही रॉटरडैम पोर्ट ने रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाया है. रॉटरडैम से गुजरने वाला लगभग 30 प्रतिशत तेल रूसी है. लगभग 20 मिलियन टन रूसी तेल उत्पाद सालाना बंदरगाह से गुजरते हैं.
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