अमेरिका: दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र. बीते २३२ सालों से अपने सर्वोच्च नेता का चुनावों के जरिए करता आया है. दुनिया की महाशक्ति अमेरिका के बेहद ताकतवर राष्ट्रपति का चुनाव बेहद प्रक्रिया और पेचीदा तरीके से होता है.


उपग्रह की कक्षा


अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से होता है. यानी अमेरिकी सीधे राष्ट्रपति नहीं चुनते बल्कि उन लोगों को चुनते हैं जो राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं. अमेरिका के पचास सूबों से ऐसे ५३८ इलेक्टर्स को चुना जाता है. इसे ही इलेक्टोरल कॉलेज कहा जाता है. इलेक्टर्स की यह संख्या हर राज्य में अलग अलग है और इसका निर्धारण सूबे में आबादी के अनुपात से निकाय जाता है.


यानी कैलिफोर्निया जैसे राज्य से जहां ५५ इलेक्टर्स चुने जाते हैं तो वहीं अलबामा और व्योमिंग जैसे छोटे राज्य में केवल एक ही इलेक्टर चुना जाता है. बाद में पार्टी पसंद के आधार पर चुने गए इलेक्टर्स राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए मतदान करते हैं. राष्ट्रपति बनने के लिए किसी भी उम्मीदवार को २७० मत हासिल करने होते हैं. चुनाव विनर टेक्स ऑल के सिद्धांत पर होता है. यानी किसी भी राज्य में ५० फीसद से अधिक इलेक्टर्स का वोट हासिल करने वाले उम्मीदवार के खाते में ही शेष सभी इलेक्टर्स के मत भी चले जाते हैं.


अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की पांच प्रमुख तारीखें


अमेरिका में चुनावों की प्रक्रिया लंबी होती है जिसमें पार्टी के अंदरूनी अधिवेशनों और प्रायमरीज के जरिए उम्मीदवारों का चयन होता है. अमेरिकी संविधान के मुताबिक चुनाव के लए नवंबर माह का पहला मंगलवार, जोकि पहले सोमवार के बाद आए, पूर्व निर्धारित है. लिहाजा इस बार यह तिथि ३ नवंबर की है. साल २०१६ में चुनाव ८ नवंबर को हुए थे.


अमेरिका में मतदान के तत्काल बाद मतों की गिनती का काम शुरु हो जाता है. लिहाजा ४ नवंबर की तारीख तक आमतौर पर नतीजों की तस्वीर साफ हो जाती है. इस बार कोविड संकट के कारण यह अवधि कुछ लंबी हो सकती है क्योंकि बहुत बड़ी संख्या में लोगों ने अपने डाक-मतपत्रों के जरिए अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है.


नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के लिए २० जनवरी की तारीख तय होती है, लेकिन कोविड के चलते इस साल बदलाव हो सकता है


अमेरिकी संविधान के मुताबिक दिसंबर माह के दूसरे मंगलवार के बाद आने वाले पहले सोमवार को सभी ५० राज्यों और डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया में लोग इलैक्टर राष्ट्रपति पद उम्मीदवार के चुनाव के लिए जमा होते हैं. इस बार यह कवायद १४ दिसंबर को होगी. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के साथ ही कांग्रेस और सिनेट के लिए भी चुनाव होते हैं. लिहाजा चुनाव के बाद जनवरी माह की तीसरी तारीख को नए सदस्यों वाली कांग्रेस की पहली बैठक होती है. साथ ही ६ जनवरी को हाउस और सिनेट की संयुक्त बैठक की तिथि तय है जिसमें इलेक्टोरल मतों की अंतिम गिनती पर मुहर लगाई जाती है.


नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के लिए २० जनवरी की तारीख मुकर्रर है. आम तौर पर बीते कई दशकों के दौरान यह तारीखें महज औपचारिकताएं ही रहीं. लेकिन इस बार कोविड संकट के बीच इन तारीखों की अहमियत बढ़ गई है.


किन तीन तरीकों से इस बार अपना मत डाल रहे हैं अमेरिकी


अमेरिका में चुनाव के लिए मतदान की व्यवस्था लगभग वैसी ही है जैसी भारत में होती है. यानी मतदान एक निर्धारित केन्द्र पर किया जाता है. इसके अलावा डाक से भी लोग अपने मताधिकार का इस्तेमाल करते हैं. इस बार रिकॉर्ड संख्या में लोग डाक मतपत्रों का इस्तेमाल कर रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि अब तक करीब ५ करोड़ डाक मतपत्र पड़ चुके हैं. अमेरिका में अर्ली वोटिंग यानी निर्धारित मतदान तिथि से पहले भी एक नियत अवधि में अपना वोट दे सकते हैं. इस सुविधा का लाभ उठाते हुए करीब साढ़े सात करोड़ लोगों ने अपने मत डाल दिए हैं.


इनमें से ढाई करोड़ अमेरिकी नागरिकों ने मतदान केंद्रों पर जाकर वोट दिया है. जबकि बाकी कई लोगों ने डाक मतों का इस्तेमाल किया है. अर्ली वोटिंग की यह कवायद २ नवंबर तक चलेगी.


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