लंदन: वैज्ञानिकों ने वुहान से शुरू होकर यूरोप और उत्तरी अमेरिका तक कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के बाद इस विषाणु की उत्पत्ति से लेकर अब तक के क्रमिक विकास का पता लगा लिया है. यह ऐसी कामयाबी है जो कोरोना वायरस की उत्पत्ति से लेकर उसके स्वरूप में हुए तमाम बदलावों पर रोशनी डालेगी. अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक नोवल कोरोना वायरस के तीन विभिन्न “रूपांतर” हैं जो करीब से संबंधित वंशों का समूह है जिन्हें उन्होंने ‘ए’, ‘बी’ और ‘सी’ से अंकित किया है.
अध्ययन में मानव मरीजों से अनुक्रमित शुरुआती 160 पूर्ण विषाणु जीनोम (जीनों का समूह) का आकलन कर सार्स-सीओवी-2 के कुछ मूल प्रसार को वंशावलियों में इसके परिवर्तित स्वरूप के जरिए मैपिंग की गई.
अध्ययन के प्रमुख लेखक, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के आनुवंशिकी विज्ञानी पीटर फोर्स्टर ने कहा, “बहुत तेजी से बहुत उत्परिवर्तन हुए हैं जिससे कोविड-19 वंश वृक्ष को ठीक-ठीक समझना मुश्किल था. हमने विश्वसनीय लगने वाली सभी वंशावलियों की एक साथ कल्पना करने के लिए गणित के नेटवर्क अल्गोरिद्म का इस्तेमाल किया.”
फोर्स्टर ने कहा, “इन तकनीकों को ज्यादातर डीएनए के जरिए पूर्व ऐतिहासिक मानव आबादी के विकास के मानचित्रण के लिए जाना जाता है. हमारा मानना है कि यह पहली बार है जब उन्होंने कोविड-19 जैसे कोरोना वायरस के क्रमिक विकास का पता लगाने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया है.”
वैज्ञानिकों ने 24 दिसंबर 2019 से लेकर चार मार्च 2020 के बीच दुनिया भर से लिए नमूनों से विषाणु के जीनोम से प्राप्त डेटा का इस्तेमाल किया है. अध्ययन में कोविड-19 के तीन रूपांतरों और उनमें हुए उत्परिवर्तनों के बारे में विस्तार से बताया गया है. यह अध्ययन ‘पीएनएएस’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.
बता दें कि कोरोना वायरस से अब तक दुनिया के 192 देशों में 80 हजार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. वहीं अब तक दुनियाभर में पंद्रह लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं.
कोरोना वायरस संबंधी नकली दवाइयों के कारोबार में इजाफा, WHO ने चेताया