ग्रेनफेल टॉवर आग: 3 भाई-बहनों ने बूढ़े मां-बाप को मरने के लिए छोड़ने की बजाए मौत चुनी
लंदन: लंदन की 27 मंजिला रिहायशी इमारत ग्रेनफेल टॉवर में 14 जून को लगी आग में अब तक 79 लोगों की मौत हो चुकी है. इस आग में एक ही परिवार के 3 भाई-बहन और माता-पिता की भी मौत हो गई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन भाई-बहनों ने अपने माता-पिता को अकेला मरने के लिए छोड़ने की बजाय उनके साथ ही मरने का फैसला किया.
22 साल की हुसना बेगम ने अपने भाईयों हनीफ (26) और हामिद (29) के साथ इस आग के बाद माता-पिता के साथ रहने का फैसला किया था. साथ ही उन्होंने अपने इस फैसले की जानकारी अपने रिश्तेदारों को फोन करके भी दी.
तीनों भाई-बहन ने टॉवर में आग लगने के बाद फोन करके जानकारी देते हुए कहा था कि उनके पास अब कोई रास्ता नहीं है, वह अपने माता-पिता को अकेला नहीं छोड़ सकते हैं. उन्होंने अपने रिश्तेदारों को फोन करते हुए बताया, मां राबिया और 82 साल के पिता कमरू को अकेला नहीं छोड़ सकते हैं, इसलिए उनके मरने पर शोक नहीं किया जाए क्योंकि वह एक बेहतर जगह पर जा रहे हैं.
ब्रिटिश-बांग्लादेशी परिवार के रिश्तेदार और उनके चचरे बाई समीर अहमद ने द टाइम्स को बताया है, उनके पिता मुश्किल से चल पाते थे, वह क्या करते? उन्हें अकेला छोड़ देते.
अहमद ने कहा है, 12.30 आगे लगी और वह 1 बजकर 45 मिनट तक अपने माता-पिता को छोड़कर जा सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. साथ ही उन्होंने बताया है कि मेरी चाची ने जब हनीफ से बात की तब वह बहुत शांत था. उन्होंने बात करते हुए कहा था कि वह समय आ गया है जब वह एक बेहतर जगह पर जा रहे हैं, इसलिए उनके जाने पर शोक नहीं किया जाना चाहिए.
अहमद ने कहा, "परिवार उनके लिए महत्वपूर्ण था इसलिए उन सभी लोगों ने साथ ही मरने का फैसला किया और अगर वह ऐसा नहीं करते तो शायद उन्हें पूरी जिंदगी इस बात का मलाल रहता."
हुसना बेगम की अगले महीने शादी होने वाली थी. उम्मीद की जा रही है कि उनके मंगेतर परिवार के साथ एक प्रार्थना सभा का आयोजन करेंगे. हालांकि, हुसना के एक और भाई मोहम्मद हकीम आग लगने के एक दिन पहले की शाम घर से बाहर गए थे और वह इस घटना में बच गए हैं.