प्रतिष्ठित टाइम मैग्जिन न भारतीय मूल की 15 वर्षीय अमेरिकी गीतांजलि राव को 'किड ऑफ द ईयर' के खिताब से नवाजा है. यंग साइंटिस्ट गीतांजलि की तस्वीर को टाइम ने अपने कवर पेज पर छापा है. गीतांजलि को ये अवॉर्ड दूषित पेयजल और साइबर बुलिंग के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी के बेहतरीन इस्तेमाल के लिए दिया गया है. टाइम मैगजीन ने पहली बार किड ऑफ द ईयर (Kid of the Year) के लिए नॉमिनेशन मांगे थे जिसमें करीब 5000 आवेदन स्वीकार किए गए थे. लेकिन गीतांजलि ने साइंस और टेक्नोलॉजी की दुनिया में अपनी शानदार रिसर्च के दम पर हजारों बच्चों को पछाड़कर ये अवॉर्ड अपने नाम कर लिया.


टाइम मैगजीन ने कहा, कोलेरेडो के स्टेम स्कूल हाईलैंड्स रेंच स्कूल की छात्रा राव ने युवा वैज्ञानिकों के सामने मिसाल कायम की है और वह उनके लिए प्रेरणास्त्रोत बनी हैं. राव ने न्यूज एजेंसी एपी से जूम इंटरव्यू पर कहा, 'इनाम के बारे में मैंने कभी नहीं सोचा था. मैं बेहद उत्साहित और आभारी हूं कि हम हमारी और आने वाली पीढ़ी की तरफ देख रहे हैं.'


गीतांजलि ने शेयर की भारत से जुड़ी यादें


गीतांजलि राव ने भारत का कई बार दौरा किया है. अमेरिका के कॉलोराडो के डेनवर में रहने वाली TIME 'किड ऑफ द ईयर' गीतांजलि बताती हैं कि कई बार भारत आई हैं. उन्होंने कहा- मेरे दोस्त, परिवार के कई सदस्य और चचेरे भाई भारत में रहते हैं. जब भी मैं वहां जाती हूं, मेरे पास सीखने के लिए कुछ नया होता है. गीतांजलि ने एक किस्सा याद करते हुए कहा कि जब वह बहुत छोटी थी, उन्हें कुएं से अपने चचेरे भाई के साथ पानी लाने के लिए कहा गया था. इस पानी को उनकी दादी उबालती और फिर वे सभी इसे पीते. पानी के लिए हमें बहुत दूर जाना पड़ता था.


गीतांजलि राव सिर्फ 12 साल की उम्र में पानी में सीसा का पता लगाने वाली एक पोर्टेबल डिवाइस विकसित की. हॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री और अकेडमी अवॉर्ड विजेता एंजेलिना जोली ने उनका जूम पर इंटरव्यू भी लिया. इंटरव्यू में राव ने कहा कि फ्लिंट, मिशिगन में पेयजल के संकट ने उन्हें एक ऐसी खोज करने के लिए प्रेरित किया जिसमें पानी के भीतर दूषित पदार्थों का पता लगाकर उन परिणामों को मोबाइल फोन पर भेजा जा सके. गीतांजलि ने मोबाइल की तरह दिखने वाले डिवाइस का नाम 'टेथिस' रखा. डिवाइस को पानी में सिर्फ कुछ सेकेंड तक डालने के बाद बता देता है कि पानी में सीसे की मात्रा कितनी है.


2019 में फोर्ब्स की अंडर 30 में मिल जगह


गीतांजलि ने बताया कि जब वह महज 10 वर्ष की थीं तब उन्‍होंने अपने माता-पिता से कहा था कि वह कार्बन नैनो ट्यूब सेंसर टेक्‍नोलॉजी पर वाटर क्वॉलिटी रिसर्च लैब में रिसर्च करना चाहती हैं. उन्‍होंने कहा कि यही बदलाव की शुरुआत थी, जब कोई इस दिशा में काम नहीं कर रहा है तो मैं इसे करना चाहती हूं. सेंसर टेक्नोलॉजी पानी में शामिल दूषित तत्वों का पता लगाने में मदद करती है. ये पहली बार नहीं है कि गीतांजलि को उनके काम के लिए बड़ा खिताब पहली बार मिला हो. इससे पहले 2019 में उन्हें फोर्ब्स की 30 अंडर 30 लिस्ट में जगह मिली थी.


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