बीजिंग: भारत ‘चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे’ (सीपीईसी) पर संप्रभुता संबंधी अपनी चिंताओं के मद्देनजर आज से बीजिंग शुरू हो रहे हाई प्रोफाइल ‘बेल्ट एंड रोड’ शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेगा. सीपीईसी ‘बेल्ट एंड रोड फोरम’ (बीआरएफ) पहल की अहम परियोजना है जिसकी दो दिवसीय बैठक में एक अहम भूमिका निभाने की संभावना है.
भारत के लिए यह एक मुश्किल फैसला था क्योंकि पिछले कुछ दिनों में चीन ने कई पश्चिमी देशों को इसमें शामिल होने के लिए राजी कर लिया है. इनमें अमेरिका भी शामिल है. अमेरिका ने लाभकारी व्यापार सौदा करने के बाद अपना एक शीर्ष अधिकारी भेजने पर कल सहमति जताई है.
बैठक में भारत की अनुपस्थिति को अधिक तवज्जो नहीं देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गांग शुआंग ने कल मीडिया को बताया कि भारतीय विद्वान बैठक में भाग लेंगे. पूर्वी चीन सागर के विवादित द्वीपों को लेकर पिछले कुछ वर्षों से चीन की कड़ी आलोचना झेलने वाले जापान ने भी एक उच्च स्तरीय राजनीतिक प्रतिनिधिमंडल भेजने पर सहमति जता दी है.
इस सम्मेलन में 29 राष्ट्र एवं सरकार प्रमुख हिस्सा लेंगे. इनमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी शामिल होंगे. दक्षिण कोरिया, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन समेत कई अन्य देशों ने इस सम्मेलन में शिरकत करने के लिए मंत्रि-स्तरीय या आधिकारिक शिष्टमंडल नियुक्त किए हैं. यह चीन द्वारा की गई भारी कूटनीतिक लॉबिंग का नतीजा है, लेकिन भारत से इतर अन्य देशों को ‘वन बेल्ट, वन रोड’ की पहल के साथ संप्रभुता से जुड़ी कोई आपत्ति नहीं है.