नई दिल्लीः आतंकी संगठन अल कायदा पर वैश्विक स्तर पर प्रतिबंध लगा हुआ है. गुरुवार को एक शीर्ष अमेरिकी आतंकवाद-रोधी अधिकारी ने संसद में बताया कि अल कायदा अब केवल छोटे पैमाने पर ही सक्रिय है. उनका कहना है कि अल-कायदा अब केवल छोटे पैमाने पर क्षेत्रीय हमलों में सक्षम है. भारतीय उपमहाद्वीप में अल कायदा (AQIS) की स्थापना 2014 में अल-कायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी ने की थी. इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय उपमहाद्वीप में आतंकवादी समूह के प्रभाव के बढ़ाना था.


राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र के निदेशक क्रिस्टोफर मिलर ने एक सीनेट समिति को बताया "दक्षिण एशिया में अल-कायदा ने सितंबर 2019 में अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की छापेमारी में अपने नेता असीम उमर की मौत के बाद से वापसी करने के लिए संघर्ष किया है और शायद वह छोटे स्तर के क्षेत्रीय हमलों में सक्षम है."


"थ्रेट्स टू द होमलैंड" पर सीनेट होमलैंड सिक्योरिटी और गवर्नमेंट अफेयर्स कमेटी के सामने अमेरिकी आतंकवाद-निरोध के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि मार्च के बीच में अल कायदा ने अमेरिका-तालिबान समझौते की प्रशंसा करते हुए नवाई अफगान जिहाद का एक विशेष मुद्दा प्रकाशित किया था.


मिलर का कहना है कि 'आतंकवाद पर वैश्विक युद्ध लगभग दो दशक पहले शुरू हुआ था, इसलिए अमेरिका ने आतंकवादी गतिविधीयों को काफी कम कर दिया है और अमेरिका को आतंकियों की पहुंच से काफी सुरक्षित किया है.' इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर का आतंकवाद अमेरिका के लिए काफी खतरनाक है.


उन्होंने कहा 'पिछले साल की तुलना में अल-कायदा के नेताओं का प्रसार तेज कर दिया है. अल कायदा अब अमेरिका और पश्चिम में अपने हमले करने के लिए व्यक्तियों को प्रेरित करना चाहता है. उदाहरण के लिए, नेवल एयर स्टेशन पेनासकोला में दिसंबर 2019 का हमला अल-कायदा जैसे समूहों को दर्शाता है. अल कायदा का अमेरिका की धरती पर हमलों को प्रोत्साहित करने में रुचि रखना जारी है.”


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