वॉशिंगटन: अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए चीन एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनकर उभरा है. ऐसे में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेट जो बाइडेन चीन के खिलाफ जुबानी जंग में एक-दूसरे को पछाड़ने में लगे हुए हैं. दोनों ही यह दर्शाना चाहते हैं कि वे चीन संबंधित मामलों में बेहतर तरीके से निपट सकते हैं. ट्रंप के चुनावी अभियान प्रबंधकों ने इस तरह के विज्ञापन निकाले हैं, जिनमें बाइडेन चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की आवभगत में लगे हुए हैं.


वहीं, दूसरी तरफ बाइडेन के चुनावी अभियान की ओर से ट्रंप को कोरोना वायरस को हल्के में लेते हुए महामारी के बारे में पारदर्शी रहने को लेकर जिनपिंग की सराहना करते हुए दिखाया गया है. जबकि, यह साफ है कि चीन ने महामारी के बारे में दुनिया के सामने जानकारी देर से साझा की.


चीन तीसरा सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा
विज्ञापनों की समीक्षा करने वाले रिपब्लिकन पोल्स्टर फ्रैंक ने कहा, ' मुझे लगता है कि कांटे की टक्कर होगी लेकिन मुझे नहीं पता कि इसका फायदा किसे मिलने जा रहा है?' फ्रैंक का मानना है कि आने वाले राष्ट्रपति चुनाव में अर्थव्यवस्था और कोरोना वायरस से निपटने के कदमों के साथ ही चीन तीसरा सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है.


मतदाताओं के बीच यह भी चर्चा का विषय रहेगा कि चीन के अनुचित व्यापार व्यवहार, बढ़ती वैश्विक नाराजगी और मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ ट्रंप या बाइडेन कौन सबसे मजबूत तरीके से अमेरिका को पेश कर सकता है? उन्होंने कहा, ' जो व्यक्ति चीनी नेताओं के अधीन नजर आएगा, चुनाव में वह सबसे ज्यादा नुकसान में रहेगा.'


अमेरिका में कोरोना वायरस फैलने के बाद किए गए एक सर्वे में अमेरिकी नागरिकों का गुस्सा उभर कर चीन के खिलाफ सामने आया था. इसके मुताबिक, 66 फीसदी लोगों ने चीन के खिलाफ नकारात्मक प्रतिक्रिया दी. साल 2005 के बाद से यह चीन के खिलाफ अमेरिकी लोगों की सबसे खराब प्रतिक्रिया रही. ऐसे में राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव में संभावित उम्मीदवार चीन के खिलाफ खुद को एक-दूसरे से बेहतर विकल्प साबित करने में लग गए हैं.


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