वाशिंगटन: व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी बलों के बीच हुई झड़प से अवगत हैं. हालांकि दोनों देशों के बीच मध्यस्थता को लेकर अमेरिका की कोई औपचारिक योजना नहीं है.
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैली मेकनैनी ने सीमा पर हुई झड़प के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘राष्ट्रपति को इसकी जानकारी है. हम पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय और चीनी बलों के बीच हालात पर नजर रख रहे हैं.’’उन्होंने कहा, ‘‘हमने भारतीय सेना का बयान देखा है कि झड़प में 20 भारतीय जवानों ने जान गंवाई है और हम इसे लेकर गहरी संवेदना प्रकट करते हैं.’’उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच मध्यस्थता की कोई औपचारिक योजना नहीं है.
मेकनैनी ने कहा, ‘‘मैं केवल यह बताना चाहती हूं कि इस साल दो जून को (अमेरिका के) राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई बातचीत में दोनों ने भारत-चीन सीमा पर स्थिति को लेकर बातचीत की थी.’’
भारत ने कहा है कि गलवान घाटी में सोमवार रात चीनी सैनिकों के साथ झड़प में कम से कम 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. चीनी विदेश मंत्रालय के अधिकारी चीन के जवानों के हताहत होने के बारे में चुप्पी साधे हुए हैं. हालांकि चीन के अधिकारिक मीडिया ने चीनी सैनिकों के हताहत होने की बात भी स्वीकार की है, लेकिन कितने सैनिक मारे गए या घायल हुए, यह उल्लेख नहीं किया है.
‘यूएस न्यूज’ की एक रिपोर्ट के अनुसार इस झड़प में एक वरिष्ठ अधिकारी समेत चीन के कम से कम 35 जवान मारे गए हैं. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने बुधवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात की थी और दोनों पक्ष तनाव जल्द से जल्द कम करने और दोनों देशों के बीच समझौते के तहत सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने पर सहमत हुए थे.
गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी सहित पूर्वी लद्दाख के कुछ अन्य क्षेत्रों में बड़ी संख्या में दोनों देशों के सैनिक पिछले पांच सप्ताह से आमने-सामने तैनात हैं.
सोमवार को हुआ संघर्ष नाथू ला में 1967 में हुई उस झड़प के बाद सबसे बड़ा संघर्ष है जिसमें चीन के 300 से अधिक सैनिक मारे गए थे और भारत के लगभग 80 जवान शहीद हो गए थे. भारत और चीन का सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर है. चीन, तिब्बत के दक्षिणी हिस्से के रूप में अरूणाचल प्रदेश पर दावा करता है जबकि भारत इसे अपना अभिन्न अंग बताता है.