अमेरिका में जरूरी दवाइयों का प्रोडक्शन बढ़ाने के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद भारतीय फार्मा कंपनियों की चिंता बढ़ गई है. हालांकि तत्काल उन पर प्रभाव नहीं पड़ेगा. लेकिन आगे चल कर उन्हें दिक्कतें आ सकती हैं. अमेरिका दवा मार्केट की सबसे बड़ी सप्लायर कंपनियां भारतीय ही हैं. अमेरिका दवा बाजार में भारतीय दवा कंपनियों की बड़ी भागीदारी है, इसलिए घरेलू फार्मा कंपनियां चिंतित है.

भारतीय कंपनियों पर फिलहाल असर नहीं
घरेलू दवा कंपनियों के प्रतिनिधियों का कहना है कि फिलहाल बड़ा असर नहीं पड़ेगा लेकिन अगर यूएस सेंटर्स फॉर मेडिकेयर एंड मेडिकेड सर्विसेज में लोकल दवाओं की खरीद को अनिवार्य बना दिया गया तो भारतीय फार्मा कंपनियों पर असर पड़ सकता है. ट्रंप ने 6 अगस्त के अपने आदेश में दवा खरीद से जुड़ी एजेंसियों को जरूरी दवाइयों की सप्लाई चेन में कमजोरियों का पता लगाने के लिए कहा था. यूस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कमिश्नर स्टीफन हान को तीन में एक ड्राफ्ट तैयार करने को कहा गया है ताकि जरूरी दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो सके.

भारत से ज्यादा चीन पर पड़ सकता है असर
ट्रंप का यह आदेश भारत से ज्यादा चीन को प्रभावित कर सकता है, जहां से बल्क ड्रग्स दुनिया भर में निर्यात किए जाते हैं. भारत को भी हाल में बल्क ड्रग की सप्लाई चेन की दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. लॉकडाउन की वजह से चीन के हुवेई प्रांत में प्रोडक्शन रुक गया था. इससे भारत में बल्क ड्रग्स की सप्लाई पर असर पड़ा था और दवाइयों की किल्लत शुरू हो गई थी. भारत अमेरिका को 6 अरब डॉलर की दवाइयों का निर्यात करता है. भारतीय फार्मा उद्योग के प्रतिनिधियों का कहना है कि फिलहाल ट्रंप के इस आदेश का ज्यादा असर तो नहीं होगा. लेकिन आगे देखना होगा कि क्या अमेरिका दवा कंपनियां कम कीमत में जरूरी दवाइयां बना पाएंगी. चूंकि अमेरिका में दवा बनाने की लागत ज्यादा है इसलिए भारत से जेनेरिक दवाओं की सप्लाई वहां काफी ज्यादा होती है.

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