तुलसी गबार्ड बनीं अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर,10 से ज्यादा खुफिया विभागों की मिली जिम्मेदारी
Tulsi Gabbard Becomes US DNI: तुलसी गबार्ड साल 2022 में डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़कर इंडिपेंडेट चुनाव भी लड़ा था. वह ट्रंप की संभावित उप-राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में भी देखी जा रही थीं.

Tulsi Gabbard Becomes US DNI: सीनेट में अंतिम मतदान के बाद बुधवार (12 फरवरी) को तुलसी गबार्ड को आधिकारिक रूप से अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (DNI) नियुक्त कर लिया गया. उन्हें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा इस पद के लिए नामित किया गया था.
इस नियुक्ति के साथ ही भारतीय मूल की तुलसी गबार्ड अब अमेरिका की 18 खुफिया एजेंसियों की प्रमुख बन गई हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों पर काम करती हैं.
गबार्ड की नियुक्ति में ट्रंप समर्थकों की अहम भूमिका
गबार्ड के नाम पर ट्रंप के सहयोगियों, जिनमें एलन मस्क भी शामिल हैं, ने मजबूत समर्थन दिया. सीनेट में 52 में से 48 वोट गबार्ड के पक्ष में पड़े, जिससे रिपब्लिकन का समर्थन साफ नजर आया. ट्रंप प्रशासन के लिए यह वोटिंग सीनेट में उनके नामांकितों को मंजूरी दिलाने की एक और सफलता मानी जा रही है.
2022 में छोड़ी थी डेमोक्रेटिक पार्टी
तुलसी गबार्ड ने 2022 में डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़कर इंडिपेंडेंट उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा. उन्हें ट्रंप की संभावित उप-राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में भी देखा जा रहा था. अब वे अमेरिका की शीर्ष खुफिया अधिकारी बनी हैं और अवरील हेन्स की जगह लेंगी. ट्रंप ने उनके नाम की घोषणा करते हुए कहा था, "मुझे विश्वास है कि तुलसी अपने साहसी नेतृत्व से खुफिया समुदाय को सशक्त बनाएंगी, संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेंगी और शक्ति के माध्यम से शांति को बढ़ावा देंगी."
इंटेलिजेंस में अनुभव की कमी
गबार्ड के पास खुफिया एजेंसियों में प्रत्यक्ष काम करने का अधिक अनुभव नहीं है, हालांकि, उन्होंने 2004-2005 में इराक में हवाई नेशनल गार्ड में मेजर के रूप में सेवा दी थी और अब यूएस आर्मी रिजर्व में लेफ्टिनेंट कर्नल हैं. 2020 में, उन्होंने डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारी पेश की, लेकिन जो बाइडेन के जीतने के बाद उनका समर्थन किया. डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ने के बाद गबार्ड बाइडेन प्रशासन की आलोचक बन गईं और रूढ़िवादी टीवी और रेडियो शो में नियमित रूप से नजर आने लगीं. अब, गबार्ड को अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को मजबूत करने और खुफिया एजेंसियों का नेतृत्व करने की चुनौती का सामना करना होगा.
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