Afghanistan Crisis: तुर्की में इकट्ठा हुए तालिबान के खिलाफ मुखर रहे रेजिस्टेंस फोर्स के नेता, अमरुल्लाह सालेह और अहमद मसूद भी जल्द पहुंचेंगे
Afghanistan News: तुर्की का रेजिस्टेंस फ़ोर्स के नेताओं को अपने यहां इकट्ठा होने देना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि UAE, तुर्कमेनिस्तान और अन्य देशों ने इनको इकट्ठा होने की अनुमति नहीं दी थी
Afghanistan Crisis: तुर्की ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के खिलाफ रेजिस्टेंस फोर्स के तमाम नेताओं को अपने देश में एक दूसरे से मिलने की इजाज़त दे दी है. हालांकि इन नेताओं को सार्वजनिक तौर पर तालिबान के खिलाफ कोई विरोध प्रदर्शन करने की इजाज़त नहीं मिली है. सूत्रों ने ABP News को बताया कि तुर्की में इस वक्त तालिबान के खिलाफ रेजिस्टेंस फ़ोर्स के जनरल दोस्तम, सल्लाउद्दीन रब्बानी, सय्याफ, पूर्व उपराष्ट्रपति सरवर दानिश, मोहम्मद मोहाक्की, उस्ताद खलील, मासूम स्तनिकज़ाई, करीम ख़लीली, हनीफ़ हतमर, पूर्व खूफिया प्रमुख रहमतुल्लाह नबील जैसे नेता मौजूद हैं और जल्दी ही अहमद मसूद और अमरुल्लाह सालेह भी तुर्की पहुंचेंगे.
गौरतलब है कि तुर्की में रेजिस्टेंस फ़ोर्स के इन नेताओं को अपने यहां इकट्ठा होने देना इस लिहाज़ से भी काफी महत्वपूर्ण है कि UAE, तुर्कमेनिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे देश इन नेताओं को अपने यहां इकट्ठा होने की अनुमति नहीं दे रहे थे. हालांकि सूत्रों की मानें तो आने वाले महीनों में तुर्की के अलावा ईरान भी इन नेताओं को अपने यहां इकट्ठा होने दे सकता है.
ABP News से बातचीत में सूत्रों ने बताया कि रेजिस्टेंस फ़ोर्स के ये नेता फिलहाल तालिबान को कुछ और वक्त देना चाहते है. तालिबान पर और व्यापक सरकार बनाने का दबाव बनाने की रणनीति बनाई जा रही है. सूत्रों के मुताबिक़ इसके तहत ये नेता अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ ही साथ अफगानिस्तान की जनता के ज़रिए भी तालिबान पर दबाव बनाने की कोशिश करेंगे. फिलहाल इनके द्वारा अभी तक अफगानिस्तान की निर्वासित सरकार की घोषणा का ऐलान नहीं हुआ है.
इस बीच ABP News को सूत्रों ने बताया कि तालिबान ने अमेरिका से बातचीत में उन्हें आश्वासन दिया है कि वो अगले साल मार्च के अंत तक तालिबान सरकार को और व्यापक बनाने की रूपरेखा पेश कर देंगे. इस बीच दुनिया भर में तैनात सभी अफगानी राजदूतों ने तालिबान सरकार के साथ तब तक काम करने से इंकार कर दिया है जब तक की वो अफगान जनता के हित मे और व्यापक सरकार नहीं बनाते. उन्होंने आगे बताया कि हाल ही में तालिबान सरकार ने सभी राजदूतों को लिखित में तालिबान सरकार का सहयोग करने को कहा था.
इस बीच अफगानिस्तान को मानवीय सहायता पहुंचाने के मामले पर भारत और पाकिस्तान के बीच भी बातचीत जारी है. पाकिस्तान ने भारत से 50,000 मिट्रिक टन गेहूं पाकिस्तान के ज़रिए अफगानिस्तान ले जाने की अनुमति दे दी है. हालांकि अभी इसकी रूपरेखा तय की जा रही है, मगर जानकार सूत्रों के मुताबिक़ पाकिस्तान फिलहाल अफगानिस्तान से भारत आने वाले ट्रकों में ही गेहूं लोड करके पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान जाने देने की अनुमति देने में फिलहाल आना-कानी कर रहा है.
इस बीच अफगानिस्तान के पूर्व राजनयिकों ने भारत सरकार को सलाह दी है कि मानवीय सहायता के सही तरीके से अफगानिस्तान पहुंचने की देखरेख करने और इस नीति पर नज़र रखने के लिए भारत को भी अफगानिस्तान के लिए अमेरिका, चीन, पाकिस्तान और ईरान की तरह अपना एक विशेष प्रतिनिधि नियुक्त करना चाहिए.
इस बीच एक मसला तालिबानी कब्ज़े के बाद से अफगानिस्तान में फंसे 2500 उन अफगानी छात्रों का भी है जो भारतीय विश्वविद्यालयों में पढाई कर रहे थे और अब तालिबान के कब्ज़े के बाद से भारत ने उन्हें वीज़ा नहीं दिया है. इस मसले पर ABP News से बात करते हुए भारत में गनी सरकार के राजदूत फरीद मामुन्दज़ेय ने कहा कि "इन 2500 छात्रों को भारत वापस लाना बहुत ज़रूरी है ताकि वो अपनी तालीम पूरी कर सकें और अफगानिस्तान के पुनर्गठन में अपना योगदान दें सके. भारत सरकार को इन्हें भारत लाना चाहिए, ये सभी बच्चे रातों रात तालिबानी नहीं हो गए हैं.”
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