Turkey Economy: पाकिस्तान लंबे वक्त से आर्थिक संकट से जूझ रहा है. बेरोजगारी और महंगाई की वजह से लोग बेहाल हो चुके हैं. ठीक ऐसा ही कुछ भारत के एक 'दुश्मन' मुल्क में भी हो रहा है. दरअसल, हम तुर्की की बात कर रहे हैं. कश्मीर के मुद्दे पर भारत के खिलाफ जहर उगलने वाला तुर्की इन दिनों बढ़ती महंगाई से परेशान हो चुका है. सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि उसकी मुद्रा लीरा की वैल्यू भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगातार गिर रही है. 


यूरोन्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्की में महंगाई इस साल सबसे ज्यादा बढ़ गई है. इसकी वजह से सेंट्रल बैंक पर दबाव बना है और उसने हालात काबू में करने के लिए ब्याज दरों को बढ़ा दिया है. देश में अगस्त में मुद्रास्फीति साल-दर-साल 58.9% तक पहुंच गई, जो दिसंबर 2022 के बाद सबसे अधिक है. तुर्किश लीरा की गिरती कीमत इसकी मुख्य वजह है. आठ महीनों तक महंगाई में हुई गिरावट के बाद जुलाई से एक बार फिर इसने रफ्तार पकड़ना शुरू कर दिया है. 


महंगाई दर 128 फीसदी तक बढ़ने का दावा


हालांकि, भले ही आधिकारिक आंकड़ें बहुत ज्यादा लगते हैं, लेकिन ये समस्या को पूरी तरह से उजागर नहीं कर रहे हैं. इन्फ्लेशन रिसर्च ग्रुप के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि महंगाई दर में 128 फीसदी तक इजाफा हुआ है. तुर्की के सेंट्रल बैंक का काम कीमतों को स्थिर रखना है. इसने जून से महंगाई को काबू में करने के लिए अपने प्रमुख ब्याज दरों को 8.5 फीसदी से 25 फीसदी तक कर दिया है. तुर्की 2019 के आखिर से ही जबरदस्त महंगाई का सामना कर रहा है. 


किन वजहों से बढ़ी तुर्की में महंगाई? 


यूरोप और एशिया के बीचो-बीच बसे इस मुल्क में पिछले चार साल लोगों के लिए बड़े परेशानी वाले रहे हैं. कभी एक विकसित देश के तौर पर देखा जाने वाला तुर्की इन दिनों महंगाई से जूझ रहा है. इस कुछ प्रमुख वजहें हैं. आइए इन वजहों के बारे में जानते हैं. 



  • व्यापार घाटा: तुर्की का व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है. जुलाई 2023 में व्यापार घाटा 12.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया. पिछले साल जुलाई में ये 10.7 अरब डॉलर तक था. व्यापार घाटे की वजह से लीरा की कीमतें गिरी हैं. 

  • आर्थिक नीतियां: राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने नीतियां भी देश की इस हालात के लिए जिम्मेदार हैं. एर्दोगन ने ब्याज दरों में कटौती की है, जिसकी वजह से मुद्रास्फीति बहुत ही ज्यादा बढ़ गई. साथ ही सरकारी खर्च में इजाफा भी बजट घाटे के लिए जिम्मेदार है. 

  • राजनीतिक अस्थिरता: तुर्की में राजनीतिक अस्थिरता ने भी महंगाई बढ़ाने का काम किया है. 2023 में हुए चुनाव में भले ही एर्दोगन को जीत मिली है. लेकिन इस चुनाव में गड़बड़ियों का आरोप लगाया गया. इसकी वजह से निवेशकों का भरोसा कम हुआ है और उन्होंने तुर्की से पैसा निकाला है. 

  • आर्थिक संकट: तुर्की की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ सालों से संकटों से गुजर रही है. अर्थव्यवस्था में गिरावट, विदेशी निवेशकों का पलायन और विदेशी मुद्रा भंडार में कमी की वजह से महंगाई तेजी से बढ़ी है.  


लीरा की कीमत का कम भी होना भी महंगाई की एक प्रमुख वजह है. एक डॉलर की कीमत 26 लीरा तक पहुंच गई है, जो कभी 9 से 10 तक रहा करती थी. लीरा की कीमत गिरने से आयात महंगा हुआ है. तुर्की खाने के कई चीजों को आयात करता है, मगर लीरा की गिरती कीमतों ने उन्हें महंगा बना दिया है. 


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