संयुक्त राष्ट्र में मुस्लिम मुल्कों की ओर से कश्मीर का मुद्दा न उठाए जाने से पाकिस्तान को झटका लगा है. पाकिस्तान तुर्किए के साथ अपनी करीबी और दोस्ती का दावा करता है, लेकिन तुर्किए के राष्ट्रपति रजब तैयब इरदुगान ने क्यों कश्मीर का जिक्र नहीं किया? ये सवाल पाकिस्तान में चर्चा का विषय बन गया है. पाकिस्तानी एक्सपर्ट कमर चीमा ने इसकी वजह ये बताई है कि तुर्किए के लिए इस वक्त ब्रिक्स (BRICS) की सदस्यता सबसे अहम है और इसीलिए उसने यूएन में इस मुद्दे को नजरअंदाज कर दिया. कमर चीमा ने कहा कि 2019 में जब कश्मीर से आर्टिकल 370 हटा था तब रजब तैयब इरदुगान ने बड़ा मुद्दा बनाया था, लेकिन अब वह बिल्कुल चुप बैठे रहे. उन्होंने कहा कि मुस्लिम मुल्कों का यह रवैया दिखाता है कि वे हमसे नाराज हैं और पाकिस्तान को सतर्क होने की जरूरत है.
कमर चीमा ने कहा कि कोई भी मुल्क किसी देश की स्थिति को देखकर उसको रैंक करता है और उस लिहाज से देखें तो भारत की स्थिति पाकिस्तान के मुकाबेल बहुत अच्छी है. उन्होंने कहा, 'आज तुर्किए ब्रिक्स का सदस्य बनना चाहता है, जिसका भारत एक महत्वपूर्ण प्लेयर है. तुर्किए को पता है कि अगर उसने कश्मीर का जिक्र किया तो इससे उसके लिए मुश्किल पैदा हो सकती है. वैसे तो इससे भी कोई फर्क न भी पड़े क्योंकि सदस्य बनाने का फैसला सर्वसम्मति से होता है.' कमर चीमा ने कहा कि सवाल ये है कि तुर्किए को इस बात का एहसास है कि अब कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ कोई नहीं खड़ा हुआ. पहले तुर्किए के राष्ट्रपति कहते थे कि साउथ एशिया में स्थिरता तब आएगी जब कश्मीर का मुद्दा हल होगा. इसका मतलब यह है कि अब तुर्किए पाकिस्तान के साथ नहीं है.
दोस्त के लिए क्यों चुप रहा तुर्किए?
कमर चीमा ने कहा, 'पाकिस्तान तो तुर्किए को अपना दोस्त बताता है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र में उनकी चुप्पी देखकर मैं तो हैरान हूं और शहबाज शरीफ ने भी उनसे कुछ नहीं कहा. शायद तुर्किए ने पाकिस्तान की स्थिति को कैलकुलेट किया कि पाकिस्तान कहां पर खड़ा है उसकी इकोनॉमी क्या है और उसके दूसरे देशों के साथ रिश्ते कैसे हैं. उसको ब्रिक्स में जाने के लिए भारत की जरूरत है. पाकिस्तान की उन्हें कहां जरूरत है? वो पाकिस्तान की मदद करते हैं पाकिस्तान तो उन्हें मुसलमान होने की वजह से इस्तेमाल कर रहा है.'
क्या भारत की स्थिति से प्रभावित है तुर्किए?
कमर चीमा ने आगे कहा, 'इंडिया ने फोर्स नहीं किया तुर्किए खुद ही पीछे हट गया और तुर्किए के भारत के साथ कोई बहुत अच्छे ताल्लुकात नहीं हैं. ये सवाल है कि ये सारे मुस्लिम मुल्क पीछे क्यों हटे हैं? इसकी वजह ये है कि उन्होंने भारत की पावर को भांप लिया है. मिलिट्री एसेट, जनसंख्या, भौगोलिक स्थिति, आर्थिक स्थिति, राजनीतिक स्थिति, न्यूक्लियर कॉर्पोरेशन, इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन ये सब चीजें देखते हैं. ये सब ताकत मापने के पैमाने हैं और जब इनमें पाकिस्तान को डाला जाएगा तो देखेंगे कि भारत बहुत आगे है.' कमर चीमा ने रजब तैयब इरदुगान के मिलने के अंदाज पर भी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि तुर्किए के राष्ट्रपति जिस तरह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मिले, वो ऐसे मिले जैसे कि सोच रहे हैं कि ये तो हमारा बच्चा है. ये मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा. ये चीजें हमें बताती हैं कि हमें सतर्क रहने की जरूरत है. ये हमें बताता है कि हमारे दोस्त हमसे नाराज हैं.
तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना भारत, बोले कमर चीमा
उन्होंने कहा कि इस वक्त भारत को सब सुनते हैं. ऑस्ट्रेलियाई संस्थान के लॉवी इंस्टीट्यूट ने भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थता बताया है. इसका मतलब है कि एशिया में भारत का कद बढ़ा है. उन्होंने कहा कि अमेरिकी थिंक टैंक प्यू रिसर्च की रिपोर्ट में भी पता चला कि 68 फीसदी भारतीय ये समझते हैं कि उनकी पावर बढ़ी है. आप देखिए भारत के अंदर लोग अपने देश को लेकर कितने पॉजिटिव हैं.
कश्मीर चुनाव पर क्या बोले पाक एक्सपर्ट?
कमर चीमा ने जम्मू-कश्मीर के चुनाव पर भी बात की. उन्होंने कहा कि कश्मीर में चुनाव हो रहे हैं. सारी डिप्लोमेटिक कम्यूनिटी कश्मीर पहुंची हुई है. उन्होंने कहा कि सारे डिप्लोमेट कश्मीर जा सकते हैं, लेकिन पीओके के खैबर पख्तूनख्वा में कोई डिप्लोमेट नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि अभी पीछे 12 डिप्लोमेट जा रहे थे तो उन पर हमला हो गया, लेकिन भारत के पास सिक्योरिटी है. अमेरिका, साउथ कोरिया, नॉर्वे, स्पेन, साउथ अफ्रीका के डिप्लोमेट कश्मीर जा रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि उन्हें सिक्योरिटी के साथ सही तरीके से ले जाया जाएगा.