Turkey Presidential Election: तुर्किए (तुर्की) में राष्ट्रपति चुनाव के लिए दूसरे चरण का मतदान 28 मई को होना है. यहां बीते 14 मई को भी वोट डाले गए थे, लेकिन तब किसी भी उम्मीदवार को 50% से ज्यादा वोट नहीं मिले थे, ऐसे में यहां रनऑफ दौर की नौबत आ गई. अब मौजूदा राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन और उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी कमाल केलिकदारोग्लू के बीच कड़ा मुकाबला है.
दरअसल, दूसरे चरण के मतदान से पहले जारी एक पोल के मुताबिक, तुर्किए की 51% जनता चाहती है कि रेचेप तैय्यप अर्दोआन एक बार फिर देश के राष्ट्रपति बनें. वहीं 49% लोग चाहते हैं कि कमाल केलिकदारोग्लू को मौका मिलना चाहिए. हालांकि इस पोल के इतर कमाल केलिकदारोग्लू खुद की जीत का लगातार दावा कर रहे हैं. उन्हें भरोसा है कि जनता उनके साथ है. ऐसा इसलिए क्योंकि मौजूदा राष्ट्रपति से जनता में भारी नाराजगी है.
इस बात को रेचेप तैय्यप अर्दोआन भी मानते हैं कि इस बार की राह आसान नहीं है. यही वजह है कि बीस साल तक सत्ता में बने रहने के बाद भी वह पहली बार दबाव महसूस कर रहे हैं. ऐसा इसलिए भी क्योंकि पिछले भूकंप के बाद तत्कालीन सरकार अगला चुनाव हार गई थी. तब रेचेप तैय्यप अर्दोआन के पार्टी की जीत हुई थी.
अर्दोआन से जनता क्यों है नाराज?
फरवरी में आए विनाशकारी भूकंप के दौरान जनता को सरकार से बहुत राहत नहीं मिली. खुद अर्दोआन ने माना कि राहत कार्य धीमा रहा. हालांकि, उन्होंने इसमें सरकार की गलती नहीं मानी. बता दें कि तुर्किए में आए भूकंप के कारण 50,000 लोग मारे गए, 30 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो गए. अरबों डॉलर का नुकसान हुआ था. इस दौरान देश की जनता ने सरकार की ओर से कराए गए इमारतों के निर्माण पर सवाल उठाए थे.
महंगाई से जनता परेशान
देश में आए भूकंप के बाद से तुर्किए उबर नहीं पा रहा है, जनता महंगाई से त्रस्त है. लोग बुनियादी जरूरतों के लिए भी तरस रहे हैं. ऐसे में जनता सरकार पर सवाल उठा रही है. इसका भी खामियाजा अर्दोआन को भुगतना पड़ सकता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक तुर्किए की मंहगाई दर 55 प्रतिशत तक पहुंच गई है.
युवाओं की नाराजगी
तुर्किए के अधिकतर युवा भी अर्दोआन से खुश नहीं हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि देश में रोजगार के साधन लगातार कम हुए हैं. ऐसे में युवाओं की नाराजगी अर्दोआन पर भारी पड़ सकती है.
करेंसी का कमजोर होना
तुर्किए की राष्ट्रीय मुद्रा लीरा में लगातार गिरावट दर्ज की गई है. विपक्ष का आरोप है कि तुर्किए के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया, यही वजह है कि लीरा लगातार कमजोर होता चला गया .
तुर्किये की विकास दर
भूकंप के कारण जहां एक तरफ देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई. दो-तिहाई से अधिक लोग भोजन और किराये के भुगतान के लिए संघर्ष कर रहे हैं. आधे से ज्यादा कर्मचारी हर महीने 300 डॉलर से भी कम कमाते हैं. ऐसे में सरकार के खिलाफ लोगों में जमकर रोष है.