तुर्की के शहर इंस्ताबूल में हागिया सोफ़िया को जुमे की नमाज के लिए खोल दिया गया है. यहां आज 86 साल बाद जुमे की नमाज़ अदा की जानेवाली है. इसमें राष्ट्रपति रजब तैय्यब अर्दोआन आलाधिकारियों समेत 15 सौ नमाजी शरीक होनेवाले हैं.


86 साल बाद हागिया सोफ़िया में जुमे की नमाज


हागिया सोफ़िया में जुमे की नमाज की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. कोरोना वायरस के खतरों को देखते हुए हागिया सोफिया में संक्रमण के बचाव के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं. मस्जिद में नमाजियों का तापमान चेक करने के लिए 17 चेक प्वाइंट्स लगाए गए हैं. प्रशासन ने नमाजियों के लिए मास्क को पहनना लाजिमी करार दिया है. स्थानीय निकाय ने नमाजियों को मस्जिद तक पहुंचाने के लिए फ्री शटल सर्विस की सुविधा मुहैया कराई है. इसके साथ ही पानी की बोतल, मास्क, सैनेटाइजर और कालीन का भी खास प्रबंध किया गया है. पिछले दिनों राष्ट्रपति अर्दोआन ने अचानक हागिया सोफ़िया का दौरा कर मस्जिद की तैयारियों का जायजा लिथा था.


मस्जिद बदलने के पक्ष में आया था फैसला


तुर्की की सुप्रीम कोर्ट ने यूनेस्को के विश्व धरोहर की सूची में शामिल 1500 साल पुरानी इमारत को मस्जिद बदलने के पक्ष में पिछले दिनों फैसला सुनाया था. अदालत के फैसले के बाद राष्ट्रपति ने हागिया सोफ़िया को म्यूजियम से मस्जिद में बदलने के फैसले पर दस्तखत कर दिए. जिसके बाद म्यूजियम की हैसियत खत्म हो गई है और उसका कंट्रोल तुर्की के धार्मिक मंत्रालय ने संभाल लिया है.


राष्ट्रपति अर्दोआन ने ऐलान किया था कि विश्व धरोहर की इमारत में 24 जुलाई को जुमे की नमाज अदा की जाएगी. नागरिकों के एक सर्वे में 60 फीसद लोगों ने हागिया सोफ़िया को मस्जिद में बदलने के फैसले की हिमायत की है. 1500 साल पुरानी 1934 में यूनेस्को के वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में शामिल हुई थी.


खास बात है कि ये इमारत करीब 1000 साल तक 5वीं सदी से 15वीं सदी तक चर्च रहा. फिर उस्मानिया खिलाफत के दौर में इसे मस्जिद में बदल दिया गया, लेकिन 20वीं सदी में इसे मस्जिद से म्यूजियम में बदला गया. एक बार फिर ये इमारत मस्जिद में बदल दी गई है.


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