भारत में महामारी के दौर में 28 मार्च से शुरू हुआ पौराणिक शो रामायण TRP के सारे रिकॉर्ड तोड़ने में जुटा है. चंद दिनों में ही उसने टीवी रेटिंग्स की दौड़ में अन्य धारावाहिकों को पछाड़ दिया. यहां तक कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्वीटर पर भी कई दिनों तक टॉप ट्रेंड में रहा. ठीक उसी तरह पाकिस्तान में तुर्की का वेब सीरिज कामयाबी के झंडे गाड़ने में लगा है. उसकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिस तरह पूरा परिवार रामायण देखने के लिए इकट्ठा हो जाता है, उसी तरह पाकिस्तान में बच्चों के साथ एर्दुग्रूल देखने में लोग गर्व महसूस कर रहे हैं.
भारत में 80 के दशक का लोकप्रिय धारावाहिक रामायण आज भी उतने ही चाव से देखा जा रहा है. सोशल मीडिया पर बढ़ती मांग को देखते हुए ही 'रामायण' के री-टेलीकास्ट का फैसला लिया गया था. BARC की रेटिंग के मुताबिक, दूरदर्शन पर रामायण के री-टेलीकास्ट ने हिंदी मनोरंजन चैनल कैटिगरी में 2015 के बाद से अभी तक की सबसे ऊंची रेटिंग पाई है. रामायण की तरह पाकिस्तान में गाजी वेब सीरिज एर्दुग्रूल कामयाबी के झंडे गाड़ रहा है. वहां उसकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यूट्यूब पर ये सीरिज नया विश्व रिकॉर्ड बनाने की कगार पर है. बताया जा रहा है कि 26 मई तक 6.6 मिलियन दर्शकों तक पहंच बनाने की तैयारी है. रामायण भारत सरकार के विशेष आदेश पर शुरू किया गया था तो तुर्की ड्रामा को देखने की वकालत पाक प्रधानमंत्री इमरान खान करते नजर आए.
13 वीं शताब्दी के दौरान मुसलमानों के इतिहास पर प्रकाश डालता तुर्की ड्रामा एक महीने में सबसे अधिक नए सब्सक्राइबर जोड़ने को तैयार है. इसकी लोकप्रियता हर वर्ग के लोगों में जबरदस्त तरीके से देखी जा रही है. पाकिस्तान टेलीविजन (Ptv) पर प्रसारित होने के बाद धारावाहिक के यूट्यूब चैनल ने 1 मिलियन ग्राहकों को पार कर लिया है.
कोरोना संकट काल में प्रधानमंत्री इमरान खान खुद इसे देखने की वकालत कर चुके हैं. वैसे तो वेब सीरिज को तुर्की रेडियो और टेलीविजन ने 2014 में प्रसारित किया था. मगर तबसे अबतक 60 मुल्कों में इसने अपनी पहुंच बना ली है. पाकिस्तान में एर्दुग्रूल की चर्चा सोशल मीडिया पर भी खूब हो रही है. लोग उसके मीम बनाकर और आपस में डॉयलॉग्स शेयर कर रहे हैं. यहां तक कि व्हाट्सऐप कैंपेन के जरिए भी लोगों को वेब सीरिज देखने के लिए उभारा जा रहा है.
तुर्की ड्रामा की लोकप्रियता के पीछे इस्लामी एंगल भी खास तौर पर जोड़ा जा रहा है. पाकिस्तान में एर्दुग्रूल की कामयाबी के पीछे तुर्की और पाकिस्तान की ऐतिहासिक विरासत को भी अहम माना जा रहा है. 20वीं सदी में पाकिस्तान और भारत ने तुर्की खलीफा के समर्थन में खिलाफत आंदोलन की शुरुआत की थी. पिछले कुछ सालों से पाकिस्तानियों के लिए तुर्की के राष्ट्रपति रज्जब तैय्यब अर्दोगान अकेले मुस्लिम नेता के तौर पर उभरे हैं जिन्होंने रोहिंग्या, फीलिस्तीन और कश्मीरियों के मुद्दे पर अपना मत प्रकट किया है.
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