क्या हमारे अहाते से ही उठेगा
मेरा जनाजा ?


अगर ट्रक में रखकर ले जाएंगे जनाजा
तो खुला होगा मेरा चेहरा
जैसे सभी को ले जाते हैं ट्रक में
कबूतर टपका देगा मेरे माथे पर कुछ
शुभ शगुन की शक़्ल में 


हमारी रसोई की खिड़की झांककर देखेगी मुझे
और देर तक देखती रहेगी उस दिशा में
जिस तरफ़ मुझे ले जाएंगे
मेरे घर का छज्जा मुझे हाथ हिलाकर विदा देगा
वहां सूख रहे गीले कपड़ों के साथ


मैं इस अहाते में रहता था
और था बेहद-बेहद ख़ुश
मेरे अहाते में रहने वाले लोगो !
तुम्हारी ज़िन्दगी लम्बी हो, ख़ूब लम्बी....


तुर्किए के प्रसिद्ध कवि नाज़िम हिक़मत ने जब ये कविता लिखी होगी तो शायद ही सोचा होगा कि उनकी दुआ जिसमें वो अपने अहाते में रहने वाले लोगों के लिए लंबी उम्र की कामना कर रहे हैं, वो कुबूल नहीं होगी और उनके देश में एक ऐसा भूकंप भी आएगा जिसमें बच्चों की किलकारियां, युवाओं की आशाएं और बुर्जुर्गों की उम्मीद उनके साथ ही एक झटके में ज़मीदोज़ हो जाएगी. कुदरती कहर ऐसा होगा कि जिस बिस्तर पर लोग रात में एक नई सुबह की उम्मीद आंखों में लिए सोएंगे उसी बिस्तर पर हमेशा के लिए मौत की नींद में समा जाएंगे. 




मध्य पूर्व का देश तुर्की एक इस्लामिक देश है. जहां की रौनकें उसकी खूबसूरत घाटियों, हलचल भरे बाज़ारों, मसालों की खुशबू, बेली डांसर्स, और नाइटक्लब से है. एशिया और यूरोप की सीमा पर बसा यह देश बेहद खूसूबरत है लेकिन सोमवार को इस खूबसूरत देश को नज़र लग गई. हर दिन की तरह सोमवार को भी शाम ढली, रात आई..दिनभर की थकान से चूर तुर्किए के लोग मन में सन्तोष लिए अपनी-अपनी बिस्तर पर लौट आए. नीरव शांति फैली हुई थी, तारे इधर उधर बिखरे हुए थे.चांद हर दिन की तरह लुका छिपी का खेल खेल रहा था. लोग ख्वाबों की दुनिया में खोए हुए थे कि अचानक रात की शांति मातम, आंसू और दर्द के मंज़र में बदल गई. पहले से ही आतंक और युद्ध से जूझ रहे मिडिल ईस्ट के इस देश में अब कुदरत कहर बरपा रहा है. ऐसा भूकंप आया कि मौतों का आंकड़ा 5 हजार के पार पहुंच गया. 


मलबों में कई लोग समा गए तो कई जिंदगी बचाने की गुहार लगाने लगे. जो लोग अपनों को मलबे से नहीं निकाल पाए उनकी भीगी आंखें बेबसी बयां कर रही हैं, दुनिया के कई देशों के राहत भेजने की घोषणाओं के बावजूद मदद उनसे अभी कई घंटों की दूरी पर है. आपदा की तस्वीरें बताती हैं कि भूकंप ने सिर्फ उनके घरों को ही नहीं, उनके परिवारों और सपने को भी तोड़ दिया है. तुर्किए के अलावा सीरिया में भी रात के बाद सुबह का सूरज तबाही लाया. सीरिया में अभी तक कुल 2365 लोगों की मौत हुई है. दोनों देशों में संयुक्त रूप से कुल 14,000 लोगों की मौत होने का अनुमान है. 




कई लाशें अब भी मलबे में दबी हैं. हर तरफ लोग अपनों की तलाश में है. एक दिन पहले जो लोग अपने परिवार के साथ हंस खेल रहे थे आज उनके परिवार उजड़ गए हैं. चारों तरफ मौत का तांडव है. मलबे से निकलती लाशों के साथ ही मौत का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है. लाशों को देखकर मोहसिन नक़वी की पंक्ति याद आ जाती है और आंखें भर आती है.


लोग मलबों में दबे साए भी दफ़नाने लगे 
ज़लज़ला अहल-ए-ज़मीं को बद-हवासी दे गया 
एक पल में ज़िंदगी भर की उदासी दे गया 



ज़िंदगी भर की उदासी यह भूकंप तुर्किए और सीरिया के लोगों को दे गया है. ये वो मुल्क़ है जहां पहले ही लाखों परेशानियां लोगों की जिंदगी में थे.


एक जिंदगी खत्म तो एक शुरू


सोशल मीडिया पर भी कई ऐसे वीडियो सामने आ रहे हैं जिन्होंने लोगों का दिल झकझोर दिया है. चारों तरफ चीख पुकार के बीच एक किलकारी की आवाज सुनाई दी. मौत से पहले जमींदोज इमारत के नीचे दबी मां ने अपने बच्चे को जन्म दिया. यह वीडियो एक जिंदगी खत्म होने और एक नई जिंदगी शुरू होने की निशानी है. इसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. रेस्क्यू टीम मलबे से लोगों को निकालने का काम कर रही थी तभी उसे बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी. मलबे से नवजात बच्चे को निकाला गया और सुरक्षित जगह पर ले जाया गया. जब-जब ये वीडियो लोगों ने देखा तो दिल बैठ गया.





प्लीज मेरी जान बचा लो


एक और वीडियो बड़ा दर्दनाक है जो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में एक यूट्यूबर मदद की गुहार लगा रहा है. तुर्की के यू-ट्यूबर चार्मक्वेल एट्रापाडो एन टेरामोटो ने मलबे के अंदर से एक वीडियो शेयर किया है. वह फंसे हुए और मदद के लिए चिल्‍ला रहे हैं. आपको बता दें कि चार्मक्वेल, तुर्की के जाने-माने यू-ट्यूबर हैं. उनके चैन पर 561.1 हजार सब्‍सक्राइर्ब्‍स हैं.


करीब 9700 बचाव कर्मी क्षेत्र में काम कर रहे


आपदा और आपातकालीन प्रबंधन प्रेसीडेंसी (एएफएडी) की ओर से कहा गया, लगभग 9700 बचाव कर्मी क्षेत्र में काम कर रहे हैं. तुर्किए के स्वास्थ्य मंत्री कोका ने कहा कि पर्याप्त संख्या में टीमें आपदा क्षेत्रों में काम कर रही हैं और उनकी खोज और बचाव और स्वास्थ्य सेवाएं जारी हैं. तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने कहा कि कई दक्षिणी प्रांतों में भूकंप आने के बाद तुर्किए सात दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा करेगा.  


सात दिनों का राष्ट्रीय शोक


एर्दोगन ने एक ट्वीट में कहा, "6 फरवरी को हमारे देश में आए भूकंपों के कारण, सात दिनों के लिए राष्ट्रीय शोक की अवधि घोषित की गई थी. हमारा झंडा 12 फरवरी, रविवार को सूर्यास्त तक आधा झुका रहेगा."