Turkiye-Syria Earthquake: तुर्किए (Turkiye) में आए भूकंप के नौ दिन बाद भी बचाव कार्य चल रहा है. मलबे के नीचे दबे लोगों को निकालने का काम चल रहा. अभी तक हजारों लोगों को मलबे से जिंदा भी निकाला जा चुका है. हालांकि इसके बावजूद 10 प्रभावित प्रांतों में कई अभियान बड़े पैमाने पर शवों को बरामद किए जा रहे हैं. तुर्किए में आए भूकंप में अब तक 41 हजार लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं कई हजार लोग बीमार है.
दक्षिणी तुर्किए के उस्मानिया में एक अस्पताल में, कुछ बचे लोगों ने अपने ढहे हुए घरों के नीचे फंसे होने की डारावनी बातें शेयर कीं और यहां तक कि उनके लिए आगे की जिंदगी क्या हो सकती है, इसकी एक झलक भी पेश की. वहां पर हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि लोगों को जिंदा बच जाने के बाद भी भूख,प्यास और मौसम की मार से मर जाने का डर सता रहा है.
अम्मी की छाती की हड्डियां टूट गईं
तुर्किए के भूकंप प्रभावित क्षेत्र में रहने वाली गुलहान विशने, जो 17 साल की हैं. उसने आपबीती सुनाते हुए कहा कि, जब भूकंप आया तो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं. भूकंप आने के बाद मैं दरवाजे के तरफ भागी, तभी अचानक हमारी एक मंजिला इमारत मेरे और मेरी अम्मी के ऊपर जा गिरी. इसमें मेरे टखने टूट गए. मुझे लगा कि मैं मर जाऊंगी. वहां से निकलना मुश्किल लग रहा था. धूल की वजह से सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, मेरी अम्मी की छाती की हड्डियां टूट गई थी, इसके बावजूद वो मुझे बचाने की कोशिश कर रही थी. मैं चार घंटे तक नीचें फंसी रही, तब जाकर मुझे बचाया गया.
हम अपने बच्चों की चिंता करते हैं
ओजलेम विनशे की मां ने बताया कि जब भूकंप आया तो मेरे पीछे एक दरवाजा था. मैंने एक पत्थर से दरवाजा तोड़ा और थोड़ी रोशनी देखी. मैंने खुद को थोड़ा बाहर निकाला और पड़ोसियों से मदद मांगने के लिए आवाज दी. कुछ देर के बाद आए एक आफ्टरशॉक ने कुछ मलबे को अलग कर दिया कर दिया और मुझे बाहर निकलने का मौका मिला. मेरी पसलियां टूट चुकी थी. मैं अपनी बेटी को खोजने की कोशिश कर रही थी. हमलोग माता-पिता के रूप में अपनी चिंता नहीं करते, जितना हम अपने बच्चों की चिंता करते हैं. ऑपरेशन के बाद गोलियां खाने के बाद भी मुझे नींद नहीं आती है, जब भी मैं आंखें बंद करती हूं तो मुझे बस अपनी बेटी की मदद के लिए चिल्लाने की आवाज सुनाई देती है. मुझे ब्रेस्ट कैंसर है. इसके बावजूद मैं काम करती हूं और तलाकशुदा हूं.
पेशाब करके पिया
तुर्किए के मऊरूत बाबाऊग्लु पेशे से एक कार मैकेनिक हैं. उन्होंने भूकंप के बाद हुई बातों को शेयर करते हुए बताया कि जब भूकंप आया तो मैं सीढ़ियों से नीचे भागा. मैं दूसरी और तीसरी मंजिल के बीच पहुंचा, तभी इमारत ढह गई और मैं सीढ़ी में मलबे में दब गया. मैं इतनी बड़ी जगह में था कि मैं मुड़ सकता था और थोड़ा हिल सकता था, लेकिन मेरा हाथ फंस गया था. चारों तरफ घना अंधेरा था. मऊरूत बाबाऊग्लु फंसे रहने के दौरान जाग रहे थे. वो सीढ़ियों के मलबे के बीच उल्टे लटके हुए थे, जिसे उनके पैर सुन्न हो गए थे, सारा खून उनके सिर पर चला गया था. तीन दिनों से अधिक समय के बाद उनको पेशाब पीना पड़ा. प्यास की वजह से जूते में पेशाब करके पी लिया. इसके बाद उन्हें उल्टी हो गई. उन्होंने बताया कि उन्हें 4 दिन के बाद पूरे 96 घंटे बाद बचाया गया.