Turkish Presidential Election 2023: पश्चिम एशियाई देश तुर्किये (तुर्की/Turkiye) में चुनाव हो रहे हैं. यहां आज राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव के लिए वोटिंग हो रही है. ये चुनाव राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) के लिए बेहद अहम हैं, क्‍योंकि ये चुनावी मुकाबला उनके 20 साल के शासन को समाप्त कर सकता है. दरअसल, इसी साल 6 फरवरी को आए भूकंप (Turkiye earthquake) में तुर्किये के 50 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी. भूकंप के कारण लाखों लोगों के घर-बार तहस-नहस हो गए थे, उन्‍हें विस्‍थापित होना पड़ा. 


भूकंप पीड़ित भुखमरी और बेरोजगारी के शिकार हो गए. ऐसे में राष्ट्रपति एर्दोगन और उनकी पार्टी की काफी आलोचना हुई है. उनके विपक्षियों का कहना है कि उन्होंने भूकंप के बाद मदद पहुंचाने में सुस्ती दिखाई. इसके साथ ही उनकी सरकार सालों तक कंस्ट्रक्शन की सही व्यवस्था को लागू करने में भी विफल रही. तुर्किये में बेरोजगारी दर तेजी से बढ़ रही है. लोगों के पास रोजगार नहीं हैं, वहां महंगाई से भी आमजन परेशान हैं. वहीं, चुनाव में अब 6 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति और संसदीय चुनावों के लिए एकजुट होकर विपक्षी नेता कमाल केलिकदारोग्लू को अपने गठबंधन का उम्मीदवार चुना है. 




कमाल केलिकदारोग्लू को मिल सकती है जीत
कमाल केलिकदारोग्लू को तुर्किये का ‘गांधी’ माना जाता है. उनके हाव-भाव भारत के राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी से काफी मिलते जुलते हैं. इसलिए लोग उन्‍हें ‘कमाल गांधी’ भी कहते हैं. राजनीति के जानकारों का कहना है कि तुर्किये के इस चुनाव में वह 20 साल सत्ता में रहने वाले राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन को मात दे सकते हैं. तुर्किये के कानून के तहत वहां आज रात 9 बजे तक किसी भी तरह के इलेक्‍शन रिजल्‍ट से जुड़ी रिपोर्टिंग पर रोक है. हालांकि, रविवार देर रात तक इस बात का संकेत मिल सकता है कि राष्ट्रपति पद के लिए रनऑफ वोट होगा या नहीं. 


20 साल सत्ता में रहने वाले तैयप को मिलेगी हार?
तुर्किये में आज होने वाली वोटिंग न केवल 8 करोड़ से ज्‍यादा जनसंख्‍या वाले नाटो-सदस्य देश तुर्किये को नया नेतृत्व प्रदान कर सकती है, बल्कि यह भी तय करेगी कि वहां सख्‍त इस्‍लामिक कायदे-कानूनों की बात करने वाले एर्दोगन की डिमांड है, या लोग उन्‍हें अब और सत्‍ता में नहीं चाहते. तुर्किये की अर्थव्यवस्था और विदेश नीति के लिहाज से भी यह चुनाव बड़ा अहम है. 


भारत विरोधी रूख रहा है एर्दोगन का
दरअसल, एर्दोगन हमेशा से कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ देते रहे हैं. उन्‍होंने यूएन में कश्मीर को लेकर काफी कुछ ऐसा बोला, जो भारत को पसंद नहीं आया. मगर, इस सबके बावजूद जब तुर्किये भूकंप से बर्बाद हो रहा था, तो भारत ने तुर्किये को काफी मदद पहुंचाई थी. भारत ने लोगों को बचाने के लिए और उनके लिए खाना-कपड़े इत्‍यादि पहुंचाने के लिए 'ऑपरेशन दोस्‍त' लॉन्‍च किया था.


....तो 28 मई को फिर से होगा चुनाव 
तुर्कियन मीडिया के अनुसार, वहां ओपिनियन पोल ने एर्दोगन के मुख्य प्रतिद्वंद्वी, कमाल केलिकदारोग्लू, जो 6 विपक्षी दलों के गठबंधन का नेतृत्व करते हैं, को मामूली बढ़त दी है, लेकिन अगर उनमें से कोई भी 50% से अधिक वोट प्राप्त करने में विफल रहता है, तो 28 मई को फिर से चुनाव होगा. 


यह भी पढ़ें: अचानक LIVE इंटरव्यू छोड़ क्यों उठे तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोगन? मांगी माफी- VIDEO