Turkiye BRICS Membership: इंडिया के खिलाफ अक्सर मुखर रहने वाले तुर्किये के राष्ट्रपति रेचैप तैय्यप एर्दोगन अब सुर में बदलाव लाते नजर आ रहे हैं. हाल ही में एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर का जिक्र नहीं किया, जो पहले उनकी आदत थी. इस बदलाव की चर्चा ऐसे समय हो रही है जब तुर्किये की ब्रिक्स समूह में शामिल होने की कोशिशों के बारे में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने यह दावा किया था कि भारत इस पर असहमत था.


तुर्किये ने उन रिपोर्ट्स को पूरी तरह से खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया था कि भारत ने ब्रिक्स में तुर्किये के शामिल होने का विरोध किया. हाल ही में रूस के कजान में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में तुर्किये को पार्टनर देश के रूप में शामिल किया गया था, जो इस साल 13 देशों में से एक है. तुर्किये ने कहा कि ये रिपोर्ट्स सही नहीं हैं और वास्तविकता से दूर है.


एर्दोगन का कश्मीर पर मौन


राष्ट्रपति रेचैप तैय्यप एर्दोगन कश्मीर मुद्दे पर हमेशा पाकिस्तान के साथ खड़े दिखते हैं पर अब उस विषय पर चुप्पी साधे हैं. सितंबर में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते समय कश्मीर का जिक्र करने से परहेज किया था. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह उनकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जबकि बाकी इसे जम्मू-कश्मीर में होने वाले चुनावों के संदर्भ में अहम मानते हैं.


जर्मन चांसलर की भारत यात्रा


यह खबर जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज की भारत यात्रा से पहले आई है, जो 25 अक्टूबर से शुरू हुई. तुर्किये की ब्रिक्स में शामिल होने की प्रक्रिया और एर्दोगन के नए सुर यह दर्शाते हैं कि वैश्विक राजनीति में बदलाव आ रहा है. तुर्किये का भारत के प्रति रवैया और एर्दोगन की रणनीति अब नए आयामों की ओर बढ़ती दिखाई दे रही है.


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