तुर्किए पर हुए आतंकी हमले में सामने आया PKK का नाम, गृह मंत्री और रक्षा मंत्री ने जताई आशंका
Turkiye attack on PKK area: अंकारा में हुए आतंकी हमले का आरोप लगाते हुए तुर्किए ने उत्तरी इराक और सीरिया में पीकेके के ठिकानों पर हमला कर दिया.
Turkiye Terrorist Attack : तुर्किए की राजधानी अंकारा में बुधवार को हुए आतंकी हमले में कई लोगों की जान गई और कई अभी भी घायल हैं. तुर्की के गृह मंत्री अली यर्लिकया ने इस हमले को आतंकी हमला कहा. साथ ही इस हमले के पीछे कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) के हाथ होने की आशंका जताई है. हालांकि, अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई है लेकिन इस हमले में उसी का हाथ माना जा रहा है. व
हीं, फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, तुर्की के रक्षा मंत्री यासर गुलेर ने भी अंकारा में सरकारी एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी पर हुए हमले के लिए पीकेके पर आशंका जताई है. तुर्की सरकार के दो बड़े मंत्रियों के दिए गए बयानों के बाद पीकेके की तरफ उंगली उठ रही है.
तुर्की सरकार पीकेके पर क्यों लगा रही हमले के आरोप
तुर्की सरकार के दो अहम मंत्रियों का अंकारा में हुए आतंकी हमले के पीछे पीकेके का हाथ होने की आशंका जताने के बाद से पीकेके पर उंगली उठ रही है. हालांकि तुर्की ने इसके प्रतिरोध के रूप में उत्तरी इराक और सीरिया में पीकेके के ठिकानों पर हमले किए हैं.
आखिर क्यों बना पीकेके, क्या था इसका उद्देश्य
पीकेके एक उग्रवादी संगठन है, जिसे अब्दुल्ला ओकलान ने साल 1978 में तुर्किए में कुर्दों के हक और अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले एक गुट के तौर पर तैयार किया गया था. बता दें कि शुरू में पीकेके एक मार्क्सवादी-लेनिनवादी सोच का गुट था, जो समय के साथ राष्ट्रवादी आंदोलन के तौर उभरा.
उसके बाद साल 1984 में पीकेके ने कुर्द स्वायत्तता के लिए एक सशस्त्र विद्रोह शुरू किया. जिसका अंजाम तुर्किए स्टेट के साथ पीकेके का एक बेहद लंबा और खूनी संघर्ष चला, जिसमें हजारों लोगों की जान गई.
क्या है कुर्द समुदाय की मांग
बता दें कि कुर्द, तुर्की में एक जातीय अल्पसंख्यक है. जो दशकों से अपनी स्वतंत्रता की मांग करता आ रहा है. काउंसिल ऑफ फॉरेन रिलेशंस के मुताबिक, कुर्द तुर्की की कुल जनसंख्या में लगभग 20 प्रतिशत है. हालांकि फिर भी कुर्दों का कहना है कि उनकी पहचान का दमन किया जाता है.