बांग्लादेश में समुद्री किनारों पर हामून तूफान का असर दिख रहा है. बांग्लादेशी अधिकारियों ने बताया कि हामून तूफान देश के दक्षिण-पूर्वी तट पर पहुंच गया. हामून की वजह से अब तक कम से कम दो लोगों की मौत हुई है, जबकि 275,000 लोग पनाह लेने के लिए किसी ठिकाने की तलाश में है.
समाचार एजेंसी एएफपी ने आपदा प्रबंधन मंत्रालय के सचिव कमरुल हसन से बात की. उन्होंने कहा, "बिजली की लाइनें काट दी गईं और तटीय गांवों और द्वीपों पर भारी बारिश हुई है लेकिन बड़े पैमाने पर बड़े नुकसान की कोई खबर नहीं है. हसन ने कहा,"हमने 273,352 लोगों को सुरक्षित आसरे में रखा है."
उन्होंने कहा कि दो लोगों की मौत हो गई, एक पेड़ गिरने से कुचला गया और दूसरा एक इमारत गिरने से मौत हो गई. उन्होंने कहा, "कम से कम 10 लोग घायल हुए हैं और उनका अस्पतालों में इलाज चल रहा है."
खतरे की जद में दस लाख रोहिंग्या शरणार्थियों का घर?
बांग्लादेश मौसम विज्ञान विभाग के विशेषज्ञ मुहम्मद अबुल कलाम मलिक ने कहा कि हामून ने बुधवार सुबह तड़के चटगांव और कॉक्स बाजार तटीय जिलों में 104 किलोमीटर हवा चल रही थी.
मुहम्मद अबुल ने कहा, "इसके और अंदर तक बढ़ने और धीरे-धीरे कमजोर होने की संभावना है." बांग्लादेश का दक्षिणपूर्वी तट लगभग दस लाख रोहिंग्या शरणार्थियों का घर है जो म्यांमार से भाग गए हैं और कमजोर पनाहगाहों में रहते हैं. हालांकि मुहम्मद अबुल ने कहा कि पनाहगाह तूफान के रास्ते में नहीं आएंगे.
कॉक्स बाजार जिले में मंगलवार देर रात बिजली गुल हो गई और किसी भी नुकसान की जानकारी के लिए जिले के अधिकारियों से संपर्क नहीं किया जा सका.
एएफपी के मुताबिक, विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से उष्णकटिबंधीय तूफानों की तीव्रता बढ़ गई है,ज्यादा बारिश और तेज हवाओं के कारण अचानक बाढ़ की समस्या हुई और तटीय क्षति हुई है. 2007 में चक्रवात सिद्र में 3,000 से ज्यादा लोगों की जान गई थी और अरबों डॉलर की क्षति हुई थी.
ये भी पढ़ें: