भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अबूधाबी में बीएपीएस मंदिर का उद्घाटन किया. यह यूएई का पहला मंदिर है. इसी वजह से हर जगह इस मंदिर की चर्चा हो रही है. इस मंदिर से केरल के एक परिवार का खास रिश्ता है, जिसने मंदिर में स्थापित मूर्ति बनाई है. यह दुनिया की सबसे बड़ी पंचलोह प्रतिमा है, जिसका निर्माण र्टिसंस ग्रुप ऑफ कंपनी ने किया है. यह कंपनी पारंपरिक मूर्ति बनाने वाले अनानतन अचारी और उनके बेटे अनु अनानतन मिलकर चलाते हैं. 


इस मूर्ति के बारे में बात करते हुए अनु ने बताया "इस मंदिर से जुड़कर हम बेहद खुश हैं. हमने कई मंदिरों के लिए मूर्तियां और ध्वज स्तंभ बनाए हैं, लेकिन बीएपीस मंदिर के लिए मूर्ति निर्माण का काम मिलना अयप्पा की कृपा है. यह दुनिया की सबसे बड़ी पंचलोह प्रतिमा है. इस मूर्ति की कुल लंबाई चार फीट है. हमने इससे पहले इतनी बड़ी पंचलोह प्रतिमा कभी नहीं देखी है." 


छह महीने में पूरा हुआ निर्माण
पंचलोह प्रतिमा में पांच धातुएं होती हैं. इसमें सोना, चांदी, तांबा, जिंक और लोह का मिश्रण होता है. अनु का परिवार कई पीढ़ियों से मंदिर निर्माण से जुड़े कार्यों में लगा हुआ है. उन्हें अयप्पा मंदिर की मूर्ति बनाने का काम बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था की तरफ से मिला था. अनु ने आगे बताया "हमें यह पता था कि यूएई में हिंदू समुदाय के बीच भगवान अयप्पा की मूर्ति स्थापित करने की मांग थी. केरल के सबरीमाला में भी अयप्पा के लाखों भक्त हैं. संस्था उनकी मांग के समर्थन में थी. सबरीमाला के पुजारियों के जरिए संस्था ने हमसे संपर्क किया. पिछले साल हमें यह काम दिया गया, जो छह महीने के अंदर पूरा हो गया. इस मूर्ति को इस तरीके से बनाया गया है कि भक्तों को इसे देखकर सबरीमाला वाला भाव आएगा."


17 कारीगरों ने तैयार की प्रतिमा
इस मूर्ति को बनाने में अनु और उनके पिता के अलावा 15 पारंपरिक कारीगरों ने काम किया. ये कारीगर केरल में कई मंदिरों की मूर्तियां और ध्वज स्तंभ बना चुके हैं. अनु ने कहा "मूर्ति को अंतिम रूप मेरे पिता अनंतन अचारी ने दिया. हमारे पास उद्घाटन समारोह में शामिल होने का निमंत्रण है. हम बाद में मंदिर जाने के बारे में सोच रहे हैं. बीएपीएस ने मूर्ति निर्माण के लिए धातुएं उपलब्ध कराई थीं, संस्था के वरिष्ठ प्रतिनिधि कई बार मूर्ति निर्माण देखने के लिए हमसे मिले थे."