Dubai Rain : संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब, बहरीन और ओमान में मूसलाधार बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. मंगलवार (16 अप्रैल) को हुई बारिश ने सड़कों, घरों और मॉल में बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए. यह बारिश देखते ही देखते तूफान में बदलने लगी है. इसकी वजह से दर्जनों शहरों में बाढ़ भी आ गई.
दुबई के इंटनेशनल एयरपोर्ट पर तो बीते 24 घंटे में 6.26 इंच से ज्यादा बारिश हुई. मौसम की जानकारी देने वाली वेबसाइट 'द वेदरमैन डॉट कॉम' के अनुसार, जितनी बारिश हुई है, उतनी बारिश यहां 2 वर्षों में होती है. वहीं, कुछ एक्सपर्ट खाड़ी देशों में आई बाढ़ की वजह को क्लाउड सीडिंग(Cloud-Seeding) यानी आर्टिफिशियल बारिश बता रहे हैं. न्यूज एजेंसी एसोसिएट प्रेस का दावा है कि दुबई प्रशासन ने सोमवार को क्लाउड सीडिंग के जरिए बारिश कराने के लिए विमान उड़ाया था. इसके कुछ देर बाद ही खाड़ी देशों में भारी बारिश और बाढ़ आ गई.
क्या होती है आर्टिफिशियल रेन ?
जिन देशों में गर्मी ज्यादा होती है, वहां बारिश की ज्यादा जरूरत होती है. जब आसमान से पानी न गिरे तो आर्टिफिशियल तरीके से बारिश कराई जाती है. इसे कृत्रिम बारिश भी कहते हैं. आर्टिफिशियल तरीके से बादलों को बारिश में बदलने की तकनीक को 'क्लाउड सीडिंग' भी कहते हैं. इसके लिए सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम आयोडाइड और ड्राई आइस (सॉलिड कॉबर्न डाइऑक्साइड) जैसे रसायनों को हेलिकॉप्टर या प्लेन के जरिए आसमान में बादलों के करीब बिखेर दिया जाता है. इस प्रक्रिया में करीब आधा घंटे तक का समय लग जाता है. उसके बाद तूफानी बादल बनते हैं और बारिश होती है.
पहले भी कराई थी क्लाउड सीडिंग
ऐसा नहीं है कि क्लाउड सीडिंग पहली बार हुई है, इससे पहले भी जुलाई 2021 में दुबई में आर्टिफिशियल बारिश कराई गई थी. 2021 में तापमान 50 डिग्री तक पहुंच गया था, उस समय गर्मी से राहत पाने के लिए क्लाउड सीडिंग कराई गई थी. सूखे से निपटने के लिए खाड़ी देशों में अकसर इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. UAE में इसकी शुरुआत 1990 में हुई थी.
भारत में भी है यह तकनीक
चीन, अमेरिका समेत दुनिया के 60 देशों के पास आर्टिफिशियल रेन कराने की टेक्नोलॉजी है. भारत में भी यह तकनीक है. कई जगहों पर इसका इस्तेमाल भी हुआ है.
क्लाउड सीडिंग से बादल भी फट सकते हैं
जब एक टाइम लिमिट से बहुत ज्यादा बारिश हो जाती है, तो उसे तकनीकी तौर पर बादल फटना कहते हैं. बादल फटना इस पर भी निर्भर करता है कि क्लाउड सीडिंग से कितने बादल जमा हुए हैं. अगर बहुत ज्यादा भाप से भरे बादलों में क्लाउड सीडिंग करा दें तो बादल फट सकते हैं. संभव है कि UAE समेत खाड़ी देशों में इसकी वजह से तेज बारिश आई हो, जो बाढ़ की वजह बनी. इसलिए कुछ रिपोर्ट में क्लाउड सीडिंग से ही बाढ़ आने का दावा किया जा रहा है.