Uganda News: दुनिया में जब भी सबसे क्रूर तानाशाहों की बात आती है, तो उसमें यूगांडा के ईदी अमीन का जिक्र जरूर होता है. ईदी अमीन इतना क्रूर था कि वह अपने दुश्मनों का खून पीता, उनका मांस खा जाता. सिर्फ इतना ही नहीं, उसने यूगांडा में 10 लाख लोगों को मौत के घाट उतार दिया. हालांकि, अब ईदी अमीन तो मर चुका है, मगर यूगांडा में फिर से उसका भयावह दौर लौट रहा है. 


दरअसल, यूगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी ने देश में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय को जबरन बंद करवा दिया है. उनके इस कदम का मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने विरोध किया है. राजधानी कम्पाला में मौजूद कार्यालय को बंद किया गया. गुलु और मोरोटो शहर में मौजूद UN के दो ऑफिस पहले ही बंद हो चुके थे. सरकार ने UN कार्यालयों को ऑपरेट करने के लिए उनके समझौते को रिन्यू करने से इनकार कर दिया था.


18 सालों बंद हुआ UN ऑफिस


मानवाधिकार के लिए यूएन हाई कमिश्नर वोल्कर तुर्क ने कहा कि वह ऑफिस बंद किए जाने से दुखी हैं. तुर्क ने कहा कि एजेंसी ने युगांडा में सभी युगांडावासियों के मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए 18 सालों तक काम किया है. सरकार की तरफ उठाया गया ये कदम इसलिए चिंताजनक लगता है, क्योंकि हाल ही में LGBTQ+ विरोधी बिल लाया गया, जिसमें समलैंगिक लोगों के लिए मौत की सजा का प्रावधान है. 


क्यों ईदी अमीन वाला दौर लौटने का सता रहा डर?


दरअसल, ईदी अमीन के आठ साल के राज में भी समलैंगिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. लोगों के अधिकारों को छीन लिया गया और हर फैसला सरकार लेने लगी. ईदी अमीन ने यूगांडा में रहने वाले 60 भारतीयों को बाहर निकाल दिया था. विरोधियों को तरह-तरह की यातनाएं दी गईं. कुल मिलाकर 1971 से लेकर 1979 तक यूगांडा में मानवाधिकार का मजाक बनाकर रख दिया गया. 


ठीक इसी तरह से एक बार फिर हो रहा है. जिस तरह संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय को बंद किया गया है, उसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. 2026 में यूगांडा में चुनाव होने हैं. राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी भी इसमें हिस्सा लेने वाले हैं. साफ है कि इस दौरान राजनेताओं से लेकर पत्रकारों तक को निशाना बनाया जाएगा. यही वजह है कि लोगों को एक बार फिर से इस बात का डर सता रहा है कि कहीं उनके खिलाफ फिर से जुल्म न होने लगे. 


पिछले महीने ही संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में युगांडा में राजनीतिक विरोधियों, पत्रकारों, वकीलों और मानवाधिकार रक्षकों की मनमानी गिरफ्तारी की जानकारी सामने आई. रिपोर्ट में बताया गया कि लोगों को समलैंगिक होने पर पीटा गया है और कइयों को तो गिरफ्तार कर लिया गया है. यूएन हाई कमिश्नर वोल्कर तुर्क का कहना है कि यूगांडा में पिछले कुछ सालों में बहुत प्रगति हुई है. लेकिन सभी के लिए मानवाधिकार का लाभ उठाने में अभी चुनौतियां बनी हुई हैं.  


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