Khalistan Protest: 'सिक्योरिटी का करेंगे रिव्यू, ये बर्दाश्त नहीं', खालिस्तान समर्थकों की भारतीय उच्चायोग पर हमले के बाद बोले यूके के विदेश सचिव
Khalistan Protest: यूके के विदेश सचिव जेम्स क्लेवरली ने कहा कि यूके में सभी देशों के विदेशी संस्थानों की सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है. हम हमेशा उच्चायोग की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेंगे.
James Cleverly On Khalistan Protest: भारत में चल रहे खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के मामले ने लंदन में भी तूल पकड़ लिया है. हाल ही में रविवार (19 मार्च) को लंदन में स्थित भारतीय उच्चायोग में खालिस्तानियों ने तिरंगे को उतार दिया था. इसके बाद लंदन में लगातार मामला बिगड़ा हुआ है.
इसी बीच मामले के गंभीरता को समझते हुए विदेश सचिव जेम्स क्लेवरली (James Cleverly) ने भारत और ब्रिटेन के संबंध को लेकर बात की. उन्होंने कहा कि भारत और यूके गहरे संपन्न संबंध साझा करते हैं. भारतीय उच्चायोग में कर्मचारियों के साथ हुई हिंसा स्वीकार करने लायक नहीं है. ब्रिटिश सरकार भारतीय उच्चायोग में सुरक्षा सुनिश्चित करेगी.
लंदन में भारतीय उच्चायोग के विरोध प्रदर्शन
ब्रिटेन के विदेश सचिव जेम्स क्लेवरली ने कहा कि यूके में सभी देशों के विदेशी संस्थानों की सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है. विदेश सचिव का बयान खालिस्तान समर्थक समूहों के तरफ से बुधवार (22 मार्च) को लंदन में भारतीय उच्चायोग के बाहर फिर से विरोध प्रदर्शन करने के बाद आया.
इस दौरान खालिस्तान समर्थक समूहों ने भारतीय उच्चायोग के मुख्य द्वार पर पानी की बोतलें और धुएं के गुबार फेंके. आपको बता दें कि रविवार को खालिस्तानी समर्थकों ने भारतीय उच्चायोग के ऊपर से भारतीय झंडा उतार दिया था. इसके बाद से स्थिति तनावपूर्ण हो गई है.
सुरक्षा की जिम्मेदारी लेंगे
दरअसल, भारत में खालिस्तान समर्थक और कट्टरपंथी सिख नेता अमृतपाल सिंह के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई चल रही है. वहीं लंदन में बुधवार को स्थानीय पुलिस ने खालिस्तान समर्थकों के विरोध प्रदर्शन को नाकाम कर दिया. इस दौरान पुलिस ने कड़ी निगरानी रखी. यूके के विदेश सचिव ने कहा आगे कहा कि हम भारतीय उच्चायोग में सुरक्षा की समीक्षा करने के लिए मेट्रोपॉलिटन पुलिस के साथ काम कर रहे हैं.
इसके कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक बदलाव करेंगे. हम हमेशा उच्चायोग की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेंगे. लंदन के घटना के बाद भारत में भी वरिष्ठ ब्रिटिश दूत के खिलाफ कड़ा विरोध किया.
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