UK General Election 2024: ब्रिटेन के चुनाव में भारतीय समुदाय के वोटर काफी अहम भूमिका निभा रहे हैं. आज (4 जुलाई) वहां प्रधानमंत्री पद के लिए वोटिंग भी हो रही है. ब्रिटेन में 18 लाख से ज्यादा भारत के लोग हैं. ये इतने ज्यादा महत्वपूर्ण हैं कि इन्हें लुभाने के लिए नेताओं को मंदिरों में पूजा तक करनी पड़ गई. लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर और कंजर्वेटिव पार्टी से ऋषि सुनक ने उन्हें रिझाने की काफी कोशिश की. दोनों नेता स्वामीनारायण मंदिर में पूजा भी करने गए. अब सवाल उठता है कि आखिर भारतीय वोटरों का रुख किस पार्टी की तरफ रहा है. पढ़ें पूरी स्टोरी.


इस पार्टी ने आजादी में दिया था भारत का साथ
आजादी के समय पर ब्रिटेन की लेबर पार्टी ने भारत की मदद की थी. ब्रिटेन में लेबर पार्टी के नेता क्लिमेंट एटली ही भारत को आजाद करने हिमायती थीं. 1947 में जब भारत आजाद हुआ, तब ब्रिटेन की सत्ता उन्हीं के हाथ में थी. एटली के इस फैसले की ब्रिटेन के पूर्व PM विंस्टन चर्चिल ने आलोचना भी की, वह उस समय कंजर्वेटिव पार्टी से थे. इस घटना के बाद से भारतीय समुदाय के लोग लेबर पार्टी को अच्छा और कंजर्वेटिव को बुरा मानने लगे. ब्रिटेन में भारतवंशी लेबर पार्टी के वोटर बन गए. 80 के दशक में फिर ब्रिटेन में कंजर्वेटिव पार्टी की सरकार आई. ​​​​​​मार्गरेट थैचर ब्रिटेन की पहली महिला पीएम बनीं. उन्होंने भी भारतवंशी वोटरों को लुभाने के लिए 1988 में एक दिवाली कार्यक्रम किया. वह प्रधानमंत्री रहते हुए भी 2 बार भारत आईं. आंकड़ों की मानें तो 2010 तक ब्रिटेन में भारतवंशियों की आबादी 15 लाख के करीब पहुंच गई.


हार जीत में भूमिका निभाने लगे भारतीय वोटर
भारतीयों का प्रभाव और वोटरों की संख्या इतनी हो गई कि वह कई सीटों पर हार-जीत में अहम भूमिका निभाने लगे. इसी को देखते हुए कंजर्वेटिव नेता डेविड कैमरन ने 2010 के आम चुनाव में भारतीय मूल के कई हिंदुओं को पार्षद से लेकर सांसद तक का टिकट दिया. पहली बार कंजर्वेटिव पार्टी ने सबसे अधिक 17 भारतवंशी कैंडिडेट्स को टिकट दिया, जिसमें से अधिकतर हिंदू थे. 2010 में 61% भारतवंशी वोटरों का वोट लेबर पार्टी को मिला था, यह 2019 में 30% पहुंच गया. 2019 में कंजर्वेटिव पार्टी को 24% वोट मिले, जिसमें हिंदू वोटरों का हिस्सा सबसे अधिक था. इसको लेकर राजनीति के जानकार प्रोफेसर आनंद मेनन कहते हैं कि ब्रिटेन में भारतवंशियों के मुद्दे पहले की तरह एक जैसे नहीं रहे हैं. ये धर्म के आधार पर बंट गए हैं. ब्रिटिश हिंदुओं के मुद्दे 70 साल पुराने नहीं रहे. इनका ध्यान अब सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, विकास, धर्म और पहचान जैसे मुद्दों पर है. BJP की तरह कंजर्वेटिव पार्टी भी इन मुद्दों पर राजनीति करने के लिए जानी जाती है. इस वजह से भारत की मोदी सरकार की नीतियों को पसंद करने वाले लोग कंजर्वेटिव पार्टी से प्रभावित हैं.


65 प्रतिशत भारतीय सुनक के खिलाफ
YouGov की रिपोर्ट के मुताबिक, 65% भारतीय वोटर सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी के खिलाफ हो चुके हैं.सर्वे में शामिल भारतीय लोगों का आरोप है कि प्रधानमंत्री सुनक ने डेढ़ साल के कार्यकाल में उनके लिए कुछ नहीं किया. रणनीतिकारों का मानना था कि सुनक के भारतीय मूल के होने के कारण यहां के भारतीयों का झुकाव उनकी तरफ होगा, लेकिन सुनक अब इसमें असफल दिख रहे हैं.