ब्रिटेन में कोविड-19 के एक और नए केस की पहचान हुई है. हालांकि, वायरस का यह नया रूप दक्षिण अफ्रीका में पैदा हुआ है और वहां से आए दो लोगों के जरिये ब्रिटेन पहुंचा है. ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने बुधवार को यह जानकारी दी. उन्होंने इस वायरस के इस नए वैरिएंट के और ज्यादा संक्रामक होने और रूप बदलते रहने की आशंका जताई. पिछले हफ्ते दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य विभाग ने कहा था कि कोरोना वायरस का एक नया बदला हुआ रूप पाया गया है जो हाल में संक्रमण में हुई वृद्धि का कारण हो सकता है.


ब्रिटेन में पहले से ही कोरोना के नए स्ट्रेन के बाद एक और साउथ अफ्रीका से जुड़े कोरोना स्ट्रेन का पता चलने के बाद कोरोना के एक और दौर का संभावित खतरा मंडरा रहा है. 10 डाउनिंग स्ट्रीट से ब्रीफिंग करते हुए हेनकॉक ने कहा- दोनों (कोरोना के नए स्ट्रेन) मामले उन लोगों के हैं जो पिछले कुछ हफ्तों के दौरान साउथ अफ्रीका से होकर वापस लौटे हैं. उन्होंने कहा- कोरोना का यह नया रूप ज्यादा चिंता करने वाला है क्योंकि यह पहले की तुलना में ज्यादा संक्रमणकारी है.


ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री ने साउथ अफ्रीका से आने वालों की यात्रा पर फौरन रोक की पुष्टि की है. इसके साथ ही, सरकार ने उन लोगों से कहा है जो साउथ अफ्रीका में हैं या फिर जो साउथ अफ्रीका से जुड़ा है उनसे पिछले पन्द्रह दिनों के दौरान संपर्क में आए हैं तो वे फौरन क्वारंटाइन हो जाए.


इधर, ब्रिटेन में कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन का पता चलने के बाद भारत और यूरोप समेत कई देशों ने वहां से आने वाली फ्लाइट पर रोक लगा दी है. वहीं ब्रिटेन कड़ा लॉकडाउन लागू करने पर विचार कर रहा है ताकि खतरनाक वायरस के प्रसार की रोकथाम की जा सके.  इस बीच, ब्रिटेन ने बुधवार को नेशनल हेल्थ सर्विस टेस्ट के असाधारण उपयोग को मंजूरी दे दी और कोरोना के एसिम्प्टोमैटिक मरीजों की जांच के लिए कोविड-19 सेल्फ टेस्ट किट का पता लगाया.

मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (एमएचआरए) ने कहा कि किट एंटीजन लेट्रल फ्लो टेस्ट (एंटीजन एलएफटी) का इस्तेमाल करती है, जो 30 मिनट में रिजल्ट दे सकता है. कोरोना के नए स्ट्रेन से जूझ रही ब्रिटेन की सरकार ने कहा कि वह संक्रमण का पता लगाने के लिए बड़े पैमाने पर लोगों की जांच करना चाहती है. नवंबर में इसने लीवरपुल के नॉर्थवेस्ट सिटी में बड़ी तादाद में पायलट टेस्ट शुरू किया था. इसके तहत उन लोगों का भी टेस्ट कराया गया जिसमें लक्षण नहीं थे ताकि इस तरह टेस्टिंग के जरिए कोरोना के प्रसार को रोका जाए.

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